कैबिनेट मिशन क्या था एवं क्या थे इसके प्रावधान

द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत ने ब्रिटिश सरकार का अच्छा सहयोग किया ताकि भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त हो सके| 1945 ई. में सेकंड वर्ल्ड वॉर समाप्त हो चुका था एवं अंग्रेजो की हालत भी अब बुरी थी एवं उन्हें प्रतीत होने लगा था कि भारत को स्वराज्य घोषित करना पड़ेगा|

भारत में अब स्वतंत्र होने को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा था एवं इंग्लैंड जगह-जगह होते विद्रोह से तंग आ चुका था अत: इस समस्या को सुलझाने हेतु एक मिशन भारत भेजा गया जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है|

क्या था कैबिनेट मिशन:

भारत को स्वराज्य घोषित करने के अंतर्गत इंग्लैंड की संसद ने मार्च 1946 ई. में एक प्रतिनिधि मंडल को भारत भेजा जिसके अंतर्गत भारत के वरिष्ठ नेताओं ने ‘लार्ड Wavel’ के साथ एक योजना का निर्माण किया जिसका उद्देश्य भारत के लिए एक अस्थाई सरकार का निर्माण करके पूर्ण स्वराज्य लाना था एवं भारत में नए संविधान की घोषणा करना था, इसी को कैबिनेट मिशन कहा गया|

हालंकि क्रिप्स मिशन के जैसे कैबिनेट मिशन को कोई खासी सफलता नहीं मिल पाई क्योकि इसने भी प्रान्त के अलग संविधान बनाने पर जोर दिया|

कैबिनेट मिशन की प्रमुख योजनाये एवं प्रावधान:

ब्रिटिश राज्यों को एवं भारतीय प्रान्तों को मिलाकर एक भारतीय संघ बनाया जायेगा जो भारत की सुरक्षा प्रणाली एवं अन्य खर्चे वहन करेगा एवं प्रतिरक्षा दल, संचार व्यवस्था आदि इसी संघ के अधीन रहकर कार्य करेगी|

संघ की अलग से कार्यपालिका बनाई जाएगी जिसमे भारतीय एवं ब्रिटिश दोनों सदस्य शामिल किये जायगे एवं जरूरी विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार विधानमंडल का होगा|

जो विषय संघ के अधीन नहीं होंगे उनपर भारतीय राज्य फैसला करेंगे|

भारत के अलग-अलग प्रान्तों को तीन हिस्सों में बांटा गया जिसमे बिहार उड़ीसा, मुंबई, मध्य प्रदेश, आदि पहले थे, दूसरे स्थान पर पंजाब, उत्तर-पश्चिमी भाग एवं सिंध शामिल थे एवं तीसरे स्थान पर असम एवं बंगाल भाग थे| ये प्रान्त अपने सम्बन्ध में निर्णय ले सकते थे एवं शेष मंडल को सौंप सकते थे|

प्रावधान के दस साल बाद यदि विधानमंडल चाहे तो संविधान की धाराओं में बदलाव कर सकता है|

इसके बाद देशी प्रान्तों की सम्प्रभुता के अधिकार को ब्रिटिश सरकार हस्तांतरित कर देगी एवं भारत के राज्य देशी संघ में रहना चाहते है या अलग होना चाहते है इसका निर्णय वे स्वंय करेंगे|

संविधान निर्माण से जुड़े प्रावधान:

दस लाख की जनसंख्या पर एक मुख्य सदस्य को नियुक्त किया जायगा|

अल्पसंख्यक वर्ग को आबादी से अधिक स्थान नहीं मिलेगा|

किसी भी रियासत को अब उसकी जनसंख्या के आधार पर अधिकार मिलेगा|

सभा की मुख्य बैठक की व्यवस्था दिल्ली में होगी एवं उसी समय सदस्यों का चुनाव किया जायेगा|

सेन्टर में एक अस्थाई सरकार का गठन किया जाएगा जिसमे भारत के मुख्य प्रतिनिधि भाग लेंगे एवं इसका अध्यक्ष वायसराय ही रहेगा एवं शासन के सभी विषय इसके अधीन रहेंगे|

भारत को स्वराज्य घोषित करने के बाद इंग्लैंड एवं भारत के मध्य संधि रहेगी एवं मामलों का निपटारा मिलकर किया जायेगा|

क्या थे कैबिनेट मिशन के परिणाम:

मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस दोनों ने कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया जबकि हिन्दू महासभा ने इसका विरोध किया| निर्वाचन के समय मुस्लिम लीग की बुरी तरह हार हुई जिससे कांग्रेस ने अपनी अंतरिम सरकार बनाने का फैसला लिया|

अंतत: 1946 को नेहरु को प्रधानमंत्री घोषित किया गया आगे चलकर मुस्लिम लीग ने भी सरकार के साथ रहना मंजूर कर लिया एवं इस मिशन ने भारत के विभाजन में अपनी अहम भूमिका निभाई|  

प्राम्भ में कांग्रेस सरकार अंतरिम फैसले से खुश नहीं थी एवं अंतरिम सरकार बनाने को अस्वीकार कर दिया था किन्तु विजय के बाद हालत बदल गये एवं जिन्ना इस सबसे काफी निराश भी हुए| अंतत दिसम्बर 1946 ई. को संविधान की बैठक दिल्ली में सम्पन्न की गई|