भारत का विभाजन Partition of India

भारत को 15 अगस्त 1947 ई. को आजादी का उपहार जरुर मिला जिसकी वह कितने समय से इंतजार में था एवं लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई| किन्तु इस उपहार की कीमत भारत के विभाजन से चुकानी पड़ी जिसमे देश दो हिस्सों में विभक्त हो गया एवं देश के लोगों की एकता पर गहरा आघात लगा|

भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 के अंतर्गत लार्ड माउंटबेंटन योजना के द्वारा भारत का विभाजन कर दिया गया जिसमे ब्रिटिश सरकार ने भारत एवं पाकिस्तान को दो अलग गणराज्य घोषित करते हुए सत्ता सौंप दी|

पाकिस्तान को अलग राष्ट्र घोषित करके इसकी रस्मे 14 अगस्त को पूरी की गई जिसमे वायसराय माउंट बेंटन ने भाग लिया इसलिए भारत में स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त को मनाते है एवं पाकिस्तान में यह 14 अगस्त को मनाया जाता है|

इस विभाजन से भड़की हिंसा में करीब 5 लाख से अधिक लोग मारे गये एवं करोड़ो लोग बेघर हो गये|

क्या थी पृष्ठभूमि भारत विभाजन की:

ब्रिटिश सत्ता ने शुरू से ही भारत में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का अनुसरण किया| जिन्ना के विचारों से भी यह प्रतीत होने लगा था कि वह अलग राष्र्ट बनाना चाहते है जो केवल मुसलमानों का हो|

हालांकि महात्मा गाँधी ने विभाजन का कड़ा विरोध किया क्योकि उनके अनुसार हिन्दू-मुस्लिम एक साथ रह सकते थे| आग में घी का काम अंग्रेजों की नीतियों ने किया जिसे भारतीय जनता भांप नहीं सकी|

धीरे-धीरे जगह-जगह दंगे भडकने लगे एवं भारत के नेताओं पर भारत विभाजन को स्वीकार करने का दबाव भी बढने लगा|

कैसे हुआ भारत का विभाजन?

भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम के अंतर्गत 18 जुलाई 1947 ई. को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित किया जो भारत के विभाजन के लास्ट प्रक्रिया थी, जबकि ढांचे की रूपरेखा 3 जून को ही तैयार कर ली गई थी| दोनों देशों के मध्य की सीमारेखा ब्रिटन के लॉयर ‘रेड्किल्फ़’ द्वारा बनाई गई थी|  

बहुमत के आधार पर राज्यों को शामिल किया गया एवं 565 राज्यों को यह स्वतन्त्रता दी गई कि वे अपनी इच्छा से किसी भी राष्ट्र में शामिल हो सकते थे| पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र संघ में सम्मिलित कर लिया गया और जैसी कि उम्मीद थी लोगों ने अपने धर्म के आधार पर अपना देश चुना|

विभाजन के काफी समय बाद तक भी लोगों का स्थानांतरण जारी रहा एवं गाँधी जी ने इस बात पर दबाव डाला कि भारत में रहने वाले मुस्लिम यदि चाहे तो यहाँ रह सकते है एवं उन्हें जबरदस्ती यहाँ से न निकाला जाए|

भारत की जनगणना 1951 के अनुसार, भारत के विभाजन के पश्चात लगभग 72,50,000 हिन्दू पाकिस्तान से भारत आये जिसमे पंजाब में यह स्थानांतरण सबसे अधिक हुआ जबकि इतनी ही संख्या में मुस्लिम भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गये|

भारत-पाकिस्तान के विभाजन से सम्बंधित कई फिल्मे भी रिलीज़ की गई जिसके दृश्य देखकर रूह काँप जाती है|

भारत विभाजन के परिणाम:

भारत विभाजन के दूरगामी परिणाम सामने आये जिसने हिन्दू-मुस्लिम एकता के नारे की धज्जियां उडादी एवं हमेशा के लिए नफरत के बीज बो दिए| धार्मिकता के आधार पर भारत का विभाजन सबसे हिंसक माना जाता है क्योकि इसमें सबसे अधिक जाने निर्दोष लोगों की गई|

ब्रिटेन ने न केवल भारत का विभाजन करवाया बल्कि उसने साइप्रस, आयरलैंड, आदि का भी विभाजन करने में अहम भूमिका अदा की जिसका कारण उसने यही दिया कि पृथिक समुदाय के लोग एक साथ कभी नहीं रह सकते अत: उनमे असंतोष न फैले इसलिए उनका अलग हो जाना बेहतर है|

ब्रिटेन ने हर कही अपनी कुटनीतिक चाले चली एवं कितने ही देशों का विभाजन कर दिया| उस समय केवल भारत का ही विभाजन नहीं हुआ बल्कि दिलों के बीच भी दूरिया बढ़ गई जिसे आज तक ठीक नहीं किया जा सका है|