एक प्रोटॉन प्रत्येक परमाणु के नाभिक में पाया गया एक उपपरमाण्विक कण होता है। इस कण के पास इलेक्ट्रॉन के बराबर और विपरीत सकारात्मक विद्युत चार्ज होता है। एक प्रोटॉन में केवल 1.673 का द्रव्यमान होगा? 10-27 किलोग्राम, न्यूट्रॉन के ...

पोजीट्रान भी किसी पदार्थ का एक अणु होता है जिस प्रकार इलेक्ट्रान होता है, परन्तु इसका चार्ज इलेक्ट्रान का बिल्कुल उल्टा होता है | या फिर ये कहें की इलेक्ट्रान के एन्टीपार्टीकल को पोजिट्रान कहतें है |इसका द्रव्यमान और इलेक्ट्रान ...

मोनेरा जगत जीव जगत के एक वर्गीकरण का महत्वपूर्ण अंग है, जिसके अंतर्गत सभी प्रकार के जीवाणु, बैक्टीरिया आदि आते है| इस जगत में सभी प्रकार में प्रोकेरियोटिक, आर्की बैक्टीरिया एवं सायनो बैक्टीरिया को सम्मिलित किया गया है| जीवाणु एवं ...

प्रोटिस्टा जगत में मुख्य रूप से एक कोशिकीय जीव एवं यूकेरियोटिक जीव शामिल किये गये है| इस श्रेणी के जीव अनेको प्रकार के जीवन की अलग छवि को प्रदर्शित करते हुए नजर आते है| जन्तु एवं पौधे के मध्य आने ...

“पहला सुख निरोगी काया” यह तथ्य जनसामान्य में सर्वविदित है। प्रत्येक मनुष्य जानता है कि स्वस्थ शरीर ही सुखी जीवन का प्रथम आधार है और यदि अन्य सुख प्राप्त हो जाये, परन्तु शरीर ही रोगमुक्त और स्वस्थ न हो तो ...

कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज, लवण, जल, विटामिन्स, वसा, न्यूक्लिक अम्ल आदि को पोषक तत्वों में सम्मिलित किया गया हैं अर्थात इन सभी रसायनों को ही पोषक तत्व कहा गया है। यदि कोई मनुष्य इसको नजरअंदाज करे या लापरवाही बरते तो यह ...

शरीर में सात प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश होता है- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, न्यूक्लिक अम्ल, जल । कार्बोहाइड्रेट– शरीर को ऊर्जा प्रदान करना व निरंतर नई ऊर्जा का उत्पादन कर व्यक्ति को ऊर्जावान बनाए रखना इस ...

मानव शरीर में स्वर्ण, चाँदी, पीतल, ताँबा आदि सोलह प्रकार की धातुएँ पाई जाती है, जिनका एक स्वस्थ शरीर के  निर्माण में पूर्ण योगदान होता है। चिरकाल से ही ताँबे के गुणों का वर्णन होता आ रहा है; जो कि ...

शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देने एव् जीवित रहने के लिए सभी प्राणियों के लिए भोजन आवश्यक होता है एवं इसी से सभी जीवों को पोषण प्राप्त होता है और जिन पदार्थो से भोजन प्राप्त होता है उम्हे पोषक पदार्थ कहते ...

मनुष्य के शरीर के निर्माण में कई तरह की धातुओं व तत्वों का योगदान होता है। उन सभी का एक संतुलित मात्रा में होने से ही मानव शरीर निरोगी, स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ठ बनता है।  अन्य सभी तत्वों की भाँति ताम्रतत्व भी ...