ऊर्जा प्रवाह पर्यावरण में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओ, वनस्पति, एवं मनुष्यों के लिए जीवित रहने का एक अग्रिम स्त्रोत है, जिसके कारण प्राणीमात्र की उत्पति होती है, एवं पौधे अपना भोजन बनाते है, तथा समस्त संसार को ऊर्जा प्राप्त होती है| परिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्थान है|
भौतिक विज्ञानं के अनुसार, ऊर्जा प्रवाह एक ऐसा गुण है, जिससे वस्तुओ में रूपांतरण किया जा सकता है, एवं उनका स्थानान्तरण भी किया जा सकता है| प्रक्रति की हर चीज एवं कार्य में ऊर्जा का समावेश होता है, जल में ऊर्जा है, वायु में ऊर्जा है, सूर्य में ऊर्जा है, इन सभी के कारण जीव-जन्तु एवं मानुष परस्पर क्रियाकलाप करते है, एवं सामूहिक रूप से अन्य अविष्कारों को जन्म देते है|
ऊर्जा प्रवाह की दिशा:
विज्ञानं के अंतर्गत ऊर्जा का प्रवाह दिशाहीन होता है, अर्थात ऊर्जा कही भी प्रवाहित हो सकती है, किसी भी दिशा में| इसे एक उदाहरण के रूप में समझा जा सकता है, जैसे: खाद्य श्रखला के अंतर्गत पेड़-पौधों को अपना भोजन बनाने क लिए प्रकाश ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा पादप अपना भोजन बनाते है, तो उस समय ऊर्जा प्रवाह की कोई विशेष दिशा नहीं होती, बल्कि वो वह मौजूद रहती है, सूर्य के प्रकाश के रूप में|
ऊर्जा प्रवाह की विभिन्न रूप:
ऊर्जा अनेकों रूप में पर्यावरण में प्रवाहित होती है, सूर्य से जो ऊर्जा निकलती है, उसे उष्म ऊर्जा कहते है, क्योकि वह गर्म होती है, इसी प्रकार बहते हुए जल से प्रवाहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहा जाता है|
ऊर्जा pr वाह का y प्रतिरूप किसने दिया?
Biologi ke prasn Patra 2020