आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) क्या है

आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस

आप सब ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का नाम तो ज़हीर तौर पर सुना ही होगा। दरअसल जो भी रोबोट, आटोमेटिक मशीन इत्यादी में जिस तकनीक का उपयोग किया जाता है, इसी को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का मतलब अगर हिंदी में समझा जाए तो आर्टिफिसियल शब्द का मतलब होता है “कृत्रिम” जिसका अर्थ होता है कि आदमी के द्वारा बनाया गया। और वहीं इंटेलिजेंस शब्द का मतलब “बुधिमत्ता” यानि की सोचने की शक्ति होती है। यह जो बुद्धिमत्ता की शक्ति होती है वो हम इंसानों के अन्दर स्वतः ही बढ़ता चला जाता है। किसी चीज़ को देखने सुनने और महसूस करके हम उसके साथ व्यव्हार करने का तरीका बताता है। उसी तरह रोबोट के अन्दर भी एक तरह का बुद्धिमत्ता की शक्ति को विकसित किया जाता है। इसी को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कहा जाता है।

आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस मौजूदा दौर में एक गंभीर और बड़ा विषय है, इस क्षेत्र में हर रोज नयी खोज़ की जा रही है। इस विषय पर कई किताबे भी लिखी जा चुकी है और कई फ़िल्में भी बन चुकी है। बॉलीवुड फिल्म रोबोट एवं रा-वन इसी पर आधारित थी। तकनीक हर रोज एक नया रूप ले रही है ऐसे में यह सवाल ज़हन में आना स्वाभाविक है कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में आगे क्या होने वाला है। इसका विकास भविष्य में अच्छा होगा या बुरा।

आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का अर्थ हम आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि कृत्रिम तरीक़े से विकसित की गई बौदि्धक क्षमता। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 दशक के शुरूआती दौर में हुआ था। यह एक प्रयास है मानव की तरह संगणक और संगणक प्रोग्रामों को उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाया जा सके जिस आधार पर आपका या हमारा मस्तिष्क काम करता है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का मकसद ही होता है कि उसके संगणक तय करे कि उसकी आने वाली गतिविधि क्या होगी। इसके लिए जरुरी है कि संगणक को अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया चुनने हेतु ऐसे प्रोग्राम किया जाए जिससे वे अपनी गतिविधि खुद तय कर सके। इसके पीछे की यही धारणा है कि संगणक मानव की सोचने की प्रक्रिया की तरह व्यवहार कर पाए। इसका मकसद यह भी है कि संगणक को इस हद तक तैयार किया जाए कि वह शतरंज भी आसानी से खेल पाए।

शतरंज के प्रतिद्वंदी की तरह ये संगणक प्रोग्राम भी मानव मस्तिष्क की लगभग हर चाल की काट और अपनी अगली चाल सोचने के लिए तैयार किया जाएगा। ये कितना सफल रहा है यह इस बात से ही साबित हो चूका है कि मई 1997में आईबीएम का एक ऐसा ही संगणक डीप ब्लू विश्व के सबसे बुद्धिमान शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्परोव को हरा दिया था।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द पर अगर ध्यान दिया जाए तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है।

1- आर्टिफिशियल का अर्थ ऐसी वस्तु से है जो प्राकृति नहीं है, अर्थात ऐसी चीज़ जिसका निर्माण मानव ने किया है।

2. इंटेलिजेंस – शब्द का अर्थ सोचने, समझने एवं सीखने की योग्यता से है।

नाम के हिसाब से इसकी परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है कि एक ऐसे सिस्टम का विकास कर पाना जो कृत्रिम रूप से सोचने, समझने एवं सीखने की क्षमता रख सकता हो बिलकुल उसी तरह जिस तरह मानव रखता हो। अर्थात एक ऐसे सिस्टम का विकास कर पाना जो व्यवहारीक रूप से प्रतिक्रिया देने में संपन्न हो और जो सिर्फ मानव की तरह न हो बल्कि मानव से भी ज़्यादा बेहतर हो। वर्तमान समय में इस क्षेत्र में तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसे शॉट फॉर्म में एआई भी कहते हैं, आप फेसबुक में जो फ्रेंड सजेशन का विकल्प देखते हैं वो इसी एआई का एक रूप है।

दरअसल एआई कोई रोबोट नहीं है बल्कि एआई ऐसा सिस्टम है जो रोबोट के अन्दर डाला गया है। इसे कई तरह से परिभाषित भी किया जा सकता है, जैसे एक ऐसा अध्यन जिसमें एक ऐसे तकनीक का विकास करना जिसकी सहायता से एक कम्प्यूटर भी इंसान की तरह व्यवहार करने और प्रतिक्रिया देने लग जाए। एआई के अंतर्गत कई मुख्य विषय आते हैं जिसमे दर्शन , समाजशास्त्र और गणित एवं भाषा का ज्ञान प्रमुख रूप से होता हैं।

एआई को मुख्य रूप से चार भागों में बाँट सकते हैं।

1- रोबोट इंसान की तरह सोचना शुरू कर दे

2- रोबोट इंसान की तरह व्यवहार करना शुरू कर दे

3- रोबोट को तर्क एवं विचारो युक्त बनाया जा सके ताकि वो संवदेनशील और बुद्धिमान हो सके

4 – रोबोट तथ्यों को समझ सके एवं तथ्यों को समझ सके और विचारों पर अपना मत दे सके

इन उपरोक्त उद्देश्यों से यह समझा जा सकता है कि कृत्रिम तरह से ऐसे सिस्टम का विकास करना जो बिलकुल इंसानों की तरह कार्य कर सके, सोच सके और अपनी प्रतिक्रिया दे सके।

इस प्रकृति ने बुद्धि का वरदान सिर्फ मानव को ही दिया है, मानव भी अक्सर अपनी बुद्धि के बल पर सभी को आश्चर्य चकित कर देता है। जब भी बुद्धि की बात आती है कई बुद्धिमान लोगों का स्मरण स्वतः ही होने लग जाता है। वहीं अगर बात हाल ही में बीते कुछ वर्षों की जाए तो मानवीय सोच समझ इतनी तेजी से समृद्ध होती जा रही है कि आज प्रकृति की रचना को हर क्षेत्र में वो कड़ी चुनौती देने को तत्पर रहता है। जैसे- जैसे विज्ञान का विकास हो रहा है, उसके साथ-साथ कृत्रिम चीज़ों का विकास भी तेज़ी से हो रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव की ऐसी ही प्रगति का एक नमूना है। यह मानव की अकांक्षाओं का परिणाम भी है। मानव ने अपनी बुद्धिमत्ता से ऐसी तकनीक का भी आविष्कार कर लिया है जिसकी सहायता से अब वो जटिल कार्य को न्यूनतम समय में करने की क्षमता होती है। 21वी सदी में आविष्कृत कंप्यूटरीकृत मशीनें मानव की तरह ही किसी भी लिखे हुए पाठ के शब्दों की पहचान कर सकता है एवं उसे पढ़ भी सकती है।वहीं यह भी देखा जा सकता है कि ऑटो पायलट मोड पर वायुयान, मशीन द्वारा संचालित किये जाते हैं। कंप्यूटरों में नवीन तकनीकों के माध्यम से ध्वनियां और आवाजों की पहचानने की अनोखी क्षमता विकसित हो चुकी है। किन्तु इतनी तकनीक के बावजूद भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक रूप में सीमित उपकरण भी है, क्योंकि इसका सामर्थ्य इसकी प्रोग्रामिंग पर निर्भर करता है। वहीं अगर तुलना मानवीय मस्तिष्क से की जाए तो ऐसी कोई सीमा निश्चित नहीं होती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने मानवीय कार्य को काफी सुविधाजनक बना दिया है। सौ मस्तिष्कों की क्षमता वाला कार्य, मात्र एक ही संगणक सुलभ कर सकता है। ये बात गणनाओं व तर्कों के संदर्भ में है।

एआई के प्रमुख एप्लीकेशन निम्न है

1- एक्सपर्ट सिस्टम

2 – गेम प्लेयिंग

3 – स्पीच रिकग्निशन

4 – नेचुरल लैंग्वेज

5 – कंप्यूटर विज़न

6 – न्यूरल नेटवर्क

7 – रोबोटिक्स

8 – फाइनेंस

9 – कंप्यूटर साइंस

10 – मौसम का पूर्वानुमान

11 – उड्डयन

कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

1-कमजोर कृत्रिम बुद्धिमत्ता

2-शक्तिशाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता

3- विलक्षणता

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदे और नुकसान ऐसा माना जा रहा है कि इससे कम कम हो जायेंगे और मानव के स्थान पर मशीनो को काम में लिया जायेगा जिसके कई नुकसान भी हो सकते है कि मशीन स्वयं ही निर्णय लेने लगेगी और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह मानव सभ्यता के लिए हानिकारक हो सकता है