आपने अक्सर ख़बरें सुनी होंगी कि एक विशालकाय बवंडर ने एक पूरे मकान को जमीन से उखाड़कर 50 किलोमीटर दूर फेंक दिया। लेकिन क्या सच में बवंडर से जमीन पर बना एक भारी भरकम मकान उखड़कर दूर फेका जा सकता हैं। जी हां यह बिलकुल सच है। लेकिन आपके मन में यह विचार आ रहें होंगे कि आखिर बवंडर क्या होता है और यह कैसे उत्पन्न होता हैं? तो हम आपको अपने इस लेख में इस विषय के बारे में जानकारी देंगे।
दरअसल जब हवा प्रचंडता पूर्वक एक स्तंभ के रूप में चक्रन करती है तो उसे बवंडर कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो हवा का तेज गति से चलने वाला झोंका जो घूमता हुआ गुज़रता है और धुल उसमे किसी मीनार की तरह ऊपर उठती हुई दिखाई देती है, वहीं बवंडर होता हैं। हाल ही में हुए शोध के अनुसार यह जानकारी मिली है, कि सबसे ज्यादा बवंडर अमेरिका के बाहरी क्षेत्र में आते हैं। अमेरिका के बाहरी क्षेत्र में आने वाले ये बवंडर इतने ज्यादा खतरनाक होते है कि कुछ समय में ही भीषण तबाही मचा देते हैं। लेकिन इसी के साथ यह भी जानना जरुरी है कि किसी जगह पर बवंडर आखिर बनता कैसे हैं?
बवंडर का निर्माण हवा के भारी दबाव और बादलों की कई तह के कारण होता हैं। गर्म जल जैसे-जैसे वाष्प में बदलता हुआ ऊपर वातावरण में जाता है, ठंडी हवाओं के साथ मिलकर प्रतिक्रिया करता है और तूफ़ान के रूप में सामने आता हैं। यह उच्च तापमान उर्जा के स्तर को बढाता है, जो की बारिश और हवाओं की रफ़्तार को प्रभावित करता हैं। कभी-कभी बवंडर भीषण रूप धारण कर लेता हैं। लेकिन यह तूफ़ान की तुलना में कम क्षेत्र को प्रभावित करता हैं। क्योकि बवंडर का क्षेत्र निर्धारित होता हैं। यह प्रचंड हवा के तेज धुल युक्त स्तम्भ के रूप में आगे बढ़ता है और अपने अन्दर आने वाली वस्तुओं को पूरी तरह तहस-नहस कर देता हैं। जबकि इसके विपरीत तूफ़ान सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रभावित करता हैं।
अगर बवंडर की रफ़्तार की बात करें तो अधिकतर बवंडरों में हवा की गति 110 मील प्रति घंटे से कम और लगभग 80 मील से अधिक होती है तथा यह ख़त्म होने से पूर्व कुछ किलोमीटर तक चलता हैं। वहीं अपने मुख्य चरम पर पहुंचने वाले बवंडर 300 मिल प्रति घंटे की रफ़्तार को प्राप्त कर लेते है तथा इन बवंडरों का विस्तार लगभाग 4 किलोमीटर तक हो जाता हैं। वहीं बवंडर अलग-अलग आकृतियों और अकार वाले होते हैं। लेकिन आमतौर पर बवंडर हवा के प्रचंडता पूर्वक चक्रन करने वाले स्तम्भ के रूप में आता है, तथा इसका एक भाग पृथ्वी की सतह को स्पर्श करता है, तो दूसरा भाग धुल के बादलों से घिरा होता है।
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