मोनेरा जगत जीव जगत के एक वर्गीकरण का महत्वपूर्ण अंग है, जिसके अंतर्गत सभी प्रकार के जीवाणु, बैक्टीरिया आदि आते है| इस जगत में सभी प्रकार में प्रोकेरियोटिक, आर्की बैक्टीरिया एवं सायनो बैक्टीरिया को सम्मिलित किया गया है| जीवाणु एवं बैक्टीरिया प्रकृति का अनिवार्य अंग है एवं इसमें से अधिकांश स्वत: उत्पन्न हो जाते है क्योकि इन्हें उत्पन्न होने के लिए किसी विशेष व्यवस्था की आवश्यकता नहीं होती एवं ये प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते है|
मोनेरा जगत में आने वाले ये सभी जीवाणु उस प्रत्येक स्थान पर उत्पन्न हो जाते है जहाँ जीवन पैदा होने की बहुत कम सम्भावना होती है| ये पानी में, झरनों में, मिटटी में, रेगिस्तान में, बर्फ की तली में एव वायु में भी अपना अस्तित्व बनाये रख सकते है| इन जीवों के कुछ विशेष प्रकार के लक्ष्ण होते है, जिनसे उनकी पहचान की जा सकती है, जो इस प्रकार है:-
मोनेरा जगत के जीवों के प्रमुख लक्ष्ण
इस जगत के जीवों की कोशिका का संगठन प्रोकेरियोटिक होता है, जिसका सीधा सा अर्थ यह है कि इनकी कोशिका अनुवांशिकी का पदार्थ जीवद्रव्य के इधर उधर बिखरा रहता है, यह किसी कोशिका झिल्ली से चिपका नहीं होता न ही बंधा होता है|
इन जीवधारियो की कोशिका भित्ति में अमीनो एसिड के साथ पोलिसेकेराईडस भी पाया जाता है, जो इनकी भित्ति को मजबूती प्रदान करता है एवं सुरक्षित रखता है| इन जीवों में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती| केन्द्रक झिल्ली के साथ-साथ गाल्जिकाय, माइटोकानड्र्रीया, एवं रिक्तिका भी विद्यमान नहीं होती|
ये जीवाणु एवं बैक्टीरिया परपोषी होते है, एवं कई बार रसायन संश्लेषी व् प्रकाश संश्लेषी भी होते है, किन्तु अधिकतर ये दूसरे के ऊपर आश्रित रहने वाले होते है| मोनेरा जगत के कुछ जीवो में स्थिरीकरण की क्षमता भी पाई जाती है जिसका सम्बन्ध वायुमंडल की नाइट्रोजन से होता है|
मोनेरा जगत का विभाजन या वर्गीकरण
मोनेरा जगत को मुख्य रूप से 4 भागो में बांटा गया है, जिससे खोजकर्ता को एवं अध्ययन करने वालो को सुविधा हो सके एवं मोनेरा जगत को जीवों को समझने में सहायता प्राप्त हो सके, मोनेरा जगत के ये 4 भाग इस प्रकार है:-
जीवाणु या बैक्टीरिया
जीवाणु को सूक्ष्म जीव भी कहा जाता है क्योकि ये काफी छोटे होते है एवं नंगी आँखो से नहीं दिखते| जीवाणु की कोशिका भित्ति की रासायनिक सरंचना पादप कोशिका से बिलकुल अलग होती है| जो जीवाणु प्रकाश संश्लेष्ण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते है उनका बैक्टीरियल क्लोरोफिल पादपो में विद्यमान क्लोरोफिल से बिलकुल भिन्न होता है तथा इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है|
एक कोशिकीय बैक्टीरिया में पाई जाने वाली कोशिका भित्ति पेपटाईडोग्लाईकान नामक यौगिक की बनी होती है जो कोशिका झिल्ली को ढककर उसे बाहरी रूप से सुरक्षा प्रदान करती है और ये अनिवार्य भी है और यह केवल जीवाणु में पाई जाती है| कोशिका में राइबोसोम पाए जाते है एवं इनमे एकल गुणसूत्र प्रधान होता है व् इनकी अंगक झिल्ली नहीं होती|
जीवाणु के कशाभो का आकार व् बनावट यूकेरियोटिक जीवो के कशाभो से अलग होता है एवं कुछ जीवाणु में ये एक होते है एवं कई में दो कशाभ भी हो सकते है| बैक्टीरिया की प्लाज्मा झिल्ली प्रोटीन एवं लिपिड से मिलकर बनी होती है एवं ये कोशिका भित्ति के ठीक नीचे स्थित रहती है तथा कोशिका द्रव्य को घेरे रहती है|
बैक्टीरिया अच्छे व् बुरे दोनों प्रकार के होते है जो अन्य जीवो को लाभ एवं नुकसान पंहुचा सकते है| बैक्टीरिया में DNA से निर्मित एक अणु पाया जाता है जो केन्द्रभ में उपस्थित रहता है| इनके क्रोमोसोम केन्द्रक के ठीक भीतर स्थित नहीं होते इसी कारण इन्हें प्रोकेरियोट जीवाणु कहा जाता है|
जीवाणु में श्वसन की प्रक्रिया दो प्रकार से होती है, एक आक्सीजन की उपस्थिति में, जिसे वायवीय कहते है, तथा दूसरी आक्सीजन की अनुपस्थिति में जिसे अवायवीय कहा जाता है| जीवाणु अलेंगिक रूप से जनन की प्रक्रिया करते है जिसमे वे द्विविभाजन प्रणाली का इस्तेमाल करके अपनी संख्या को बढाते है| परन्तु कुछ जीवाणु लेंगिक प्रक्रिया द्वारा भी जनन करते है, ये आपसी सम्पर्क द्वारा अपने गुणसूत्र दूसरे जीवाणु में डाल देते है|
एक्टिनोमाईसिटिज
पहले इस जाति को कवक माना जाता था, किन्तु इसकी कोशकीय सरंचना के कारण इसे जीवाणु माना जाने लगा| इसलिए कई बार इसे कवकसम बैक्टीरिया कहकर भी पुकारा जाता है| इनकी कुछ प्रजातियों ऐसी है जिनसे प्रतिजैविक भी प्राप्त किये जा सकते है|
आर्की बैक्टीरिया
इस प्रकार के जीवाणु प्रतिकूल एवं जटिल वातावरण में रहने के लिए प्रसिद्ध होते है, मिथेनोजैनिक जीवाणु, थर्मोएसिडोफिलिक एवं हेमोफिलिक आदि इस प्रकार के बैक्टीरिया के उदहारण है, ये बैक्टीरिया गर्म जगहों, आक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रो, मल आदि स्थानों पर पाए जाते है|
साइनो बैक्टीरिया
अधिकांशतः साइनो बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषी क्रिया में माहिर होते है, एवं उसी से अपना पालन-पोषण करते है, इन्हें नील हरित शैवाल भी कहा जाता है| किन्तु ये शैवाल की अपेक्षा जीवाणुसम ज्यादा उचित मालूम पड़ते है| ये कई प्रकार के जीव् जैसे कवक आदि के साथ अपना सहजीवन बिता सकते है|
antibiotics kya Hote Hain
Jo jivanuvo ko maar dete hai. Jivanu bhukoshkiye jiv hote hai.
Wrong
Jivanu 1 koshkiye jiv hote hai😜
Es Mai monera ki vishasta kiyo nhi h
मोनेरा जगत मे जनन संयुग्मन द्दारा होता है
Eu bacteri monera kingdom me paya jata h
Nice
kingdom moera parposi kyun hote hai
रणबीर
Monera kingdom me kiskorakha gaya hai ye ismene q nahi diya hai
Monera kingdom me unicellular organisms aate hai jo ki sirf 1 cell ke hote hain
व्हिटकर ने सम्पूर्ण जंतु जगत को पांच भागों में बांटा है, जिसमें से एक मोनेरा है।
MoNERA JAGAHT KI KOSIKA BHITTI KISSE BANI HOTI HAI ?
व्हिटकर ने सम्पूर्ण जंतु जगत को पांच भागों में बांटा है, जिसमें से एक मोनेरा है।