कंकाल तंत्र क्या है

कंकाल तंत्र

कंकाल तन्त्र

मनुष्य का शरीर विभिन्न प्रकार की अस्थियो या हड्डियों से मिलकर निर्मित होता है, जिसे कंकाल कहा जाता है और इस कंकाल का, कार्य करने एवं शरीर को आकृति प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है, इसी प्रक्रिया को कंकाल तन्त्र कहा जाता है|

मानव शरीर के कंकाल का घटन एवं उसकी सरंचना खास तरह की होती है, जिसमे अलग-अलग आकारों एवं सरंचनाओ वाली हड्डियां या अस्थि-पिंजर विद्यमान रहते है| मानव शरीर में मुख्य रूप से २०६ प्रकार की हड्डियां पाई जाती है और बचपन में इनकी संख्या २०८ होती है| ये विभिन्न प्रकार की हड्डियाँ आपस में उत्तको के माध्यम से जुडी रहती है और संधिब्न्ध हड्डियाँ शरीर के जरूरत के अनुसार अपना कार्य करती है|

हड्डियों के ऊपर मांसपेशियों की परत होती है, जो अस्थियो के आकार के अनुसार शरीर को भी आकार प्रदान करती है| जोड़ वाली हड्डियों को मजबूत पकड़ एवं लचक प्रदान करने का कार्य स्नायु  (ligament) करते है| कुछ अस्थिओं के मध्य में डिस्क के समान मौजूद रहती है, जो हड्डियों को मजबूत करने का कार्य करती है एवं उन्हें उनकी जगह पर स्थिर रखती है|

कंकाल के मुख्य रूप से दो भाग होते है, बाहरी कंकाल एवं आन्तरिक कंकाल| बाहरी कंकाल शरीर के बाहरी भागो में पाया जाता है, जैसे कुछ मछलियों के सख्त शल्क, कछुए का खोल आदि बाहरी कंकाल का उदाहारण है, यह इन जीवो की रक्षा करने का कार्य करता है| इसके अलावा आन्तरिक कंकाल शरीर के अंदर सभी कशेरुक जीवों (Vertebrate paleontology) में पाया जाता है| यह शरीर को सही आकार प्रदान करता है|

मनुष्य का कंकाल तन्त्र मुख्य रूप से २ भागों से मिलकर बना होता है, जिसका विवरण इस प्रकार है:-

अक्षीय कंकाल

यह कंकाल तन्त्र का मुख्य अंग है, चूँकि यह शरीर के अक्ष का निर्माण करता है, इसलिए इसे अक्षीय कंकाल कहा जाता है| इसके अंतर्गत मनुष्य की खोपड़ी, मेरुदंड, पसलिया या छाती की अस्थियां आती है|

खोपड़ी:

खोपड़ी में २२ प्रकार की अस्थिया होती है, जिसमे से ८ हड्डिया सम्बद्ध रूप से मनुष्य के दिमाग को सुरक्षित रखने का कार्य करती है और इस सरंचना को कपाल कहते है, और अन्य 14 अस्थियां मनुष्य के चेहरे का निर्माण करती है| मनुष्य के कपाल की सभी हड्डिया अस्थि-जोड़ या सिवानो से मजबूतीपूर्वक जुडी रहती है|

मेरुदंड या कशेरुक दंड:

यह कंकाल तन्त्र के साथ-साथ मानव शरीर का महत्वूर्ण भाग है| यह ३३ अस्थियों से मिलकर बना होता है| इनकी अस्थियां मोटी एवं लम्बी होती है जो एक छड़ी के समान दिखाई देती है और यह सिर के बीच से लेकर कमर तक जाती है| ये अस्थियां आपस में गद्दियों द्वारा सयुंक्त रहते है, जिसके कारण मेरुदंड में लचीलापन बना रहता है| यह शरीर को आकार देने के साथ गर्दन एवं धड को संतुलन प्रदान करता है|

पसलियाँ:

मानव शरीर में 12 जोड़े पसलियां पाई जाती है और इन पसलियों को आपस में जोडके रखने वाली हड्डी को उरोस्थि कहा जाता है|

उपांगीय कंकाल

उपांगीय कंकाल में १२६ हड्डियां सम्मिलित है, जिसमे हाथ, पैर आदि की अस्थियाँ शामिल की गई है|

पाद अस्थियाँ:

हाथ, पैर दोनों की हड्डियां मिलाकर ११८ होती है|

मेखलाए:

मानव के अक्षीय भाग एवं पश्च भाग में संतुलन बनाये रखने के लिए दो चाप जैसी सरंचनाए पाई जाती है, जिन्हें मेखला कहा जाता है| इसमें आगे वाले पैर की मेखला को अंश मेखला एवं पीछे वाले पैर की मेखला को श्रेणी मेखला कहते है|

कंकाल तन्त्र के कार्य

कंकाल तन्त्र शरीर के कोमल अंगो की रक्षा करता है एवं शरीर को आधार एवं सुनियोजित आकार प्रदान करता है| यह लाल रुधिर कणिकाओ का निर्माण करता है, जिससे शरीर को पर्याप्त पोषण एवं शक्ति मिलती है| यह मांसपेशियो को आपस में जोडके रखता है एवं हड्डी एवं पेशी के जोड़ को टेंडन कहते है|