आज हम जीवन चक्र के बारे में बात करेंगे।
जन्म
जन्म शुरुआत की अवस्था है जब शिशु इस दुनिया में आता है। शिशु एक नई उम्मीद लेकर आता है। सभी को उससे कुछ अपेक्षा होती है की बच्चा बड़ा होकर कुछ अच्छा करेगा। इस दुनिया में एक नया बदलाव लाएगा। शिशु का जन्म आशा का प्रतिक है।
बचपन
यह अवस्था जन्म से लेकर १२ वर्ष तक के उम्र तक होती है। बच्चा रेंगते रेंगते चलना सीख लेता है। खुद खाना खाने लगता है। इस अवस्था में बच्चा हर दिन कुछ नया सीखता है। इस अवस्था में बच्चा खेलता कूदता है और दुनिया को समझने की कोशिश करता है।
किशोर
किशोरा अवस्था १३ से १९ वर्ष तक का होता है। इस समय किशोर पुबर्टी से गुजरता है। पुबर्टी वो समय होता है जिसमे किशोर प्रजनन करने के लिए तैयार होता है और और किशोर में मचुरिटी भी आती है उसका सोचने समझने का छमता बढ़ जाता है। पुबर्टी के दौरान लड़को में दाढ़ी और मुछे निकल आती है और लड़कियों के स्तन निकल आते है। किशोरा अवस्था बचपन और जवानी के बीच का सबसे सुनहरा अवस्था है।
वयस्कता
वयस्कता का समय २० से ६५ साल का होता है इस समय एक व्यस्क पूरी तरह प्रजनन के लिए तैयार होता है। व्यस्क अपना परिवार बनता है जिससे की जीवन चक्र चलते रहता है। परिवार को आगे बढ़ाना और उसका पालन पोषण करने का जिम्मा भी व्यस्क का ही होता है।
बुढ़ापा
बुढ़ापा का समय 65 वर्ष की उम्र से शुरू होता है। मानव का अवसत उम्र 70 से 85 वर्ष का होता है लेकिन ये स्वास्थ पर निर्भर करता है। कुछ लोगो का निधन 65 वर्ष उम्र से पहले ही हो जाता है। लेकिन कुछ लोगो का निधन 85 वर्ष के बाद होता है और यही पर मानव जीवन चक्र समाप्त होता है।
Leave a Reply