ऊषा की सजल गुलाली जो घुलती है नीले अंबर में वह क्या?
जयशंकर प्रसाद ने यह प्रश्न कामायनी में अपनी एक रचना में पूछा था। न सिर्फ जयशंकर प्रसाद बल्कि दुनिया के तमाम लोगों के लिए यह सदियों से सोचने का विषय रहा है कि आसमान नीला क्यों दिखता है?
अगर विज्ञान की मानें तो अंतरिक्ष से आसमान नीला नहीं दिखता। अंतरिक्ष में जाने के बाद यह प्रतीत होता है कि आसमान का कोई रंग है ही नहीं। इसलिए वो घुप काला दिखता है, बस पृथ्वी से ही आसमान नीला दिखाई पड़ता है। मगर क्यों?
इस रहस्य को जानने के लिए सबसे पहले पृथ्वी के वायुमंडल को जानना बेहद आवश्यक है। दरअसल पृथ्वी का वायुमंडल अनेक प्रकार के गैसों के मिश्रण से बनी है।
न सिर्फ गैस बल्कि इसके अलावा धूल के कण, पराग के कण जैसे कई महिम पदार्थ भी मौजूद होते हैं। वहीं गैस की प्रकृति के बारे में बात की जाए तो वो भी कई तरह के अणुओं से मिलकर बनती है, यह अणु अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं।
जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर प्रवेश करता है तो वायुमंडल में वो इन कणों से टकराता है।
वहीं सूर्य का प्रकाश कई तरंगों से मिलकर बना है। मगर इन तरंगों में से सिर्फ सात रंग ही हमारी आंखें देख पाती हैं। जो इस प्रकार है – बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल। इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य अलग-अलग होता है।
जॉन विलियम स्ट्रट जिन्हे लॉर्ड रेले भी कहा जाता है उन्होंने लाइट स्कैटरिंग के बारे में यह बताया की लाइट स्पेक्ट्रम में जिस लाइट का तरंग दैर्ध्य (wavelength) कम है वो ज्यादा स्कैटर करता है। ये तभी होता है जब हवा में मौजूद कण प्रकाश के wavelenght से छोटे होते हैं।
अगर बात दृश्य प्रकाश की कि जाए तो नीला सबसे ज़्यादा छितराता है वहीं लाल सबसे कम।
ब्लू लाइट का वेवलेंथ 450–495 nm है वही रेड लाइट का वेवलेंथ 620–750 nm है। इसी कारणवश नीला प्रकाश वायुमंडल में उपस्थित गैस अणुओं, पराग के कणों, धूल आदि से टकराकर कर छितरा जाता है। और इसी के कारण वो हवा में काफी समय तक रहता है। इसी छितराई हुई रोशनी के कारण हमें आसमान नीला दिखाई देता हैं।
अब सवाल यह उठता है कि सूर्य के उदय होते समय और सूर्य के अस्त होते समय आसमान लाल क्यों दिखाई देता है? तो इसका उत्तर यह है कि सूर्योदय और सूर्यास्त होते वक्त प्रकाश हवा में काफी लंबी यात्रा करने के बाद हमारी आंखों तक पहुंचता है। इसी यात्रा की वजह से प्रकाश का नीला रंग अणुओं से टकराकर काफी हद तक छितरा जाता है वहीं लाल रंग धीरे धीरे आगे बढ़ता रहता है । यही कारण है कि इस दौरान आसमान हमें लाल या गुलाबी दिखाई देता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि चाहे धुंध हो, बारिश हो या चाहे धूल हो लाल रंग दूर से ही दिख जाता है। इसीलिए खतरे का संकेत देने के लिए लाल रंग का प्रयोग किया जाता है। वही यातायात में भी रुकने के लिए लाल रंग का उपयोग किया जाता है ताकि आप इसे दूर से देख सकें और दुर्घटना से बच सके। दरअसल इसके पीछे भी यही वजह है क्योंकि लाल रंग वायु में कम छितराता है और इसकी रोशनी दुरतलक जाती है।
वहीं अंतरिक्ष में आसमान काला क्यों दिखाई देता है? दरअसल अंतरिक्ष में कोई वायुमंडल नहीं है। और न ही कोई प्रकाश है इसीलिए अंतरिक्ष से देखने पर आसमान काला दिखाई पड़ता है। शायद अब जयशंकर प्रसाद जी को अपने सवालों के जवाब मिल गए होंगे। साथ ही उन लोगों को भी जिनके मन में आसमान को ले कर अलग अलग भ्रांतियां थी।
Thanks sir.
Swagat hai aapka
Such hai
Thoda aur simple rahata to
Thank you
Tq sir
जब कंप्यूटर में कोई भी फाइल को डिलीट करते हैं तो वह रीसाइकिल बिन में चला जाता है उसी प्रकार हमारे मस्तिक कुछ देर के लिए कोई भी चीज भूल जाते हैं तो वह मास्टिक के किस भाग में चला जाता है और सोचने पर वह माइंड में फिर से आ जाता है
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में ऐसे कौन सी क्षमता है जो अति सूक्ष्म वस्तु को आसानी से देख लेती है
माना कि shoreमंडल में पृथ्वी से अनेक Pind टकराती है फिर भी पृथ्वी के अंदर के मनुष्य को अनुभव क्यों नहीं होता है
क्यों की वे वायु मंडल से टकरा कर पृथ्वी पर पहुचने से पहले ही राख हो जाती हैं
Nice bhut ache se samj aa gya thank. You
आपकी टिप्पणी सरहनिय हैं
वायुमंडल में कौन कौन सी गैस मिली होती है उनका नाम बतावे और उनमें से सबसे अधिक कौन सा गैस होता है सभी का सूत्र भी बतावे
Thanks
नाइट्रोजन ,ऑक्सीजन ,कॉर्बोंडिओक्सीड, औऱ सबसे ज्यादा नाइट्रोजन पाई जाती है
Nice wow
Tq sir