कभी आपने गौर किया कि भोजन करने के बाद कुछ लोग आलस व् नींद महसूस करते है एवं सोना चाहते है? क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है? हालांकि इसमें कुछ भी अप्राकृतिक या बुरा नहीं है, फिर भी कुछ ऐसे कारण है जिससे भोजन करने के साथ ही शरीर आराम मांगता है और यहाँ हम उसी के बारे में चर्चा करेंगे|
भोजन का हमारे शरीर एवं दिमाग से गहरा सम्बन्ध है, आप क्या खाते है, कब खाते है, कैसे खाते है इससे शरीर पर गहरा असर पड़ता है|
कुछ भोजन ऐसे होते है जिससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है एवं शरीर एवं दिमाग एक्टिव बनता है ऐसे भोजन को वेकर्स अर्थात जगाने वाला कहा जाता है जबकि कुछ ऐसे भी होते है जिससे सुस्ती एवं आलस आता है इसे स्लीपर्स कहा जाता है|
क्या है स्लीपर्स?
खाने की बहुत सारी चीजे ऐसी होती है जिसे खाने के बाद शरीर आराम करना चाहता है एवं नींद आती है, जैसे मिठाई, पनीर, रोटी, दाले आदि| ऐसे भोजन को स्लीपर्स कहते है|
इन्हें खाने के बाद शरीर की समस्त ऊर्जा पाचन क्रिया में लग जाती है एवं नसे ढीली पड़ जाती है जिससे हम मीठी नींद सोना चाहते है|
अलग-२ लोगों की शरीरिक बनावट के आधार पर स्लीपर्स अलग-२ असर करते है, जरूरी नहीं कि जिससे एक को नींद आये तो सबको ही आएगी|
क्या है वेकर्स?
जिन खाद्य पदार्थों से शरीर को भरपूर मात्रा में एनर्जी मिलती हो उन्हें वेकर्स कहा जाता है| जैसे चाय, काफी, कोला, एवं विभिन्न प्रकार की एनर्जी ड्रिंक्स आदि|
ये शरीर को इतनी ऊर्जा देती है कि इन्हें खाने या पीने के बाद सोना मुश्किल लगता है|
ऐसा होने का मुख्य कारण:
यदि भोजन करने के बाद नींद आने के पीछे वैज्ञानिक कारण की बात करे तो यही कहा जायेगा कि भोजन को पचाने के लिए अतिरिक्त रक्त की आवश्यकता होती है|
भोजन करने के बाद शरीर के विभिन्न अंगो से रक्त पेट की तरफ प्रवाहित होता है जिससे दिमाग में रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है एवं शरीर सुस्ती महसूस करने लगता है एवं नींद आती है|
अन्य कारण:
कुछ विशेषज्ञ लोगों की मान्यता यह भी है कि यदि भोजन नींद आने का कारण है तो सुबह के नाश्ते के बाद या रात के खाने के बाद वैसी नींद क्यों नहीं आती जैसी दोपहर के समय आती है| इसके पीछे कई और कारण जिम्मेवार हो सकते है, जैसे-
अधिक कैलोरी वाला भोजन:
शरीर के कुछ अंग ऐसे होते है जिन्हें एक्टिव बने रहने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जैसे की दिमाग एवं आंते|
दोपहर के समय हम अधिकतर भारी ऊर्जा एवं कैलोरी वाला खाना खाते है जबकि दोपहर एवं रात के समय ऐसा नहीं होता| भारी भोजन करने के बाद हमारा मस्तिष्क लाल रक्त कणों को पेट की तरफ भोजन पचाने के लिए भेजता है एवं दिमाग के शिथिल पड़ते ही शरीर भी शिथिल पड़ने लगता है जिससे नींद आती है|
एडेनोसाइन:
यह एक ऐसा रसायन है शरीर में नींद के लिए जिम्मेवार होता है एवं यह केमिकल रात के समय एवं दोपहर के समय क्रियाशील रहता है इसलिए शायद इन दोनों समय में हम सोना अधिक पसंद करते है|
अधिक देर तक कम करते रहने या जागने के बाद भी यह रसायन आप मे नींद की इच्छा को जगा देता है|
इन्सुलिन:
खाना खाने के बाद लीवर इन्सुलिन का निर्माण करता है जो बाद में हमारे रुधिर के साथ जाकर मिल जाता है यह इन्सुलिन ट्रिप्टोफेन रसायन को एक्टिवेट कर देता है जिसके कारण शरीर सोने के प्रति इछुक होने लगता है|
यह क्रिया और भी तेजी से होती है यदि आप दोपहर के समय मीठा खा लेते है| इसलिए कहा भी जाता है कि मीठा खाने के बाद नींद अच्छी आती है|
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Sir if tea and coffee is energetic then why is it harmful ? Isme kaifeen hame harm pahuchata hai aur maine to padha hai ki inse hame 5- 10 minute ki hi energy milti hai.
caffeine paya jata hai , jo jyda matra me harmful bhi ho sakta hai .. daily max 400 g of caffeine max limit hai ..aur rahi baat energy ki to vo sugar aur milk se aata hai ..