प्रकाश का अर्थ एक प्रकार की चुम्बकीय तरंगो या ऊर्जा से है, जिसे हम आँखों से देख सकते है| प्रकाश का तरंगदैधर्य ३९०० A से ७८०० A के बीच में रहता है| प्रकाश के कुछ महत्वपूर्ण गुण होते है, जैसे- प्रकाश का परावर्तन, प्रकाश का गमन, प्रकाश का अपवर्तन, प्रकाश का व्यतिकरण, ध्रुवण एवं प्रकाश का विवर्तन आदि|
प्रकाश का फोटान सिद्धांत
आइन्स्टीन द्वारा खोजित इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश एक समूह में न रहकर ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलो या छोटे समूहों के रूप में चलता है, जिसे फोटान कहा जाता है|
सूर्य को प्रकाश का सर्वाधिक शक्तिशाली स्त्रोत माना जाता है, जिसके प्रकाश को धरती तक आने में ८ मिनट १९ सेकंड्स का समय लगता है| इसी प्रकार चाँद से आने वाले प्रकाश को धरती तक आने में केवल १.२८ सेकंड का समय लगता है|
प्रकाश का परावर्तन
किसी सतह से टकराकर प्रकाश का वापिस लौट आना प्रकाश का परावर्तन कहलाता है, जैसे कांच, धातु आदि से टकराना|
प्रकाश का अपवर्तन
इसके अंतर्गत जब प्रकाश गमन करते हुए एक जगह से दुसरे स्थान पर तिरछे होकर गुजरता हुआ अपना रास्ता बदल लेता है तो इसे प्रकाश का अपवर्तन कहा जाता है|
प्रकाश का विवर्तन
प्रकाश जब अपने अवरोधी किनारों से थोडा मुड़कर या तिरछा जाकर, उसी की छाया में प्रवेश करता है, तो इसे प्रकाश का विवर्तन कहते है|
प्रकाश का प्रकीर्णन
जब प्रकाशीय ऊर्जा किसी ऐसे स्थान या माध्यम से होकर गुजरती है, जिसमे अन्य पदार्थो के सूक्ष्म कण विद्यमान होते है एवं जिससे प्रकाश सभी दिशाओ में फ़ैल जाता है, तो इस प्रक्रिया को प्रकाश का प्रकीर्णन कहा जाता है| इसमें लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे न्यून एवं बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है| आकाश का नीला रंग भी प्रकाश प्रकीर्णन के कारण नीला दिखाई पड़ता है|
प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण
जब प्रकाश की किरने अपवर्तन के पश्चात् प्रिज्म से गुजरती है, तो प्रिज्म के साथ झुकने पर प्रकाश अनेक प्रकार के रंगो में विभक्त हो जाता है, तथा सफ़ेद प्रकाश के अपने मूल रंगो से अलग होने की प्रक्रिया को वर्ण-विक्षेपण कहा जाता है| इसके अंतर्गत बैंगनी रंग का विक्षेपण ज्यादा एवं लाल रंग का सबसे कम होता है| इन्द्रधनुष वर्ण-विक्षेपण का एक अच्छा उदाहरण है|
प्रकाश का व्यतिकरण
प्रकाश के व्यतिकरण का सिदान्त सर्वप्रथम थॉमस यंग ने १८०२ ई. में सिद्ध किया| इसके अनुसार जब एक जैसी आयाम वाली दो प्रकाशीय ऊर्जाए, प्रकाश के एक ही स्त्रोत से, एक ही माध्यम में समान दिशा में गमन करती है, तो इससे प्रकाश की तीव्रता में तत्काल परिवर्तन हो जाता है, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को प्रकाश का व्यतिकरण कहा जाता है| प्रकाश के व्यतिकरण को २ भागों में बांटा गया है:-
- संतोषी व्यतिकरण
- विनाशी व्यतिकरण
प्रकाश का ध्रुवण
प्रकाश ध्रुवण अनुप्रस्थ तरंग एवं अनुदैधर्य तरंगो में अंतर को स्पष्ट करने से सम्बन्धित घटना है| यदि प्रकाश तरंगे, प्रकाश गमन की दिशा में लम्बवत होकर एक ही दिशा में संचरण करे तो इस प्रकाश को ध्रुवित प्रकाश एवं इस घटना को प्रकाश का ध्रुवण कहा जाता है| इसके अंतर्गत बल्बों, मोमबती आदि से आने वाला प्रकाश अध्रुवित प्रकाश होता है, जबकि चलती कारों, बाइक्स आदि से आने वाला प्रकाश ध्रुवीय प्रकाश है, जिससे रात के समय दुर्घटना होने की सम्भावना रहती है, एवं जिसे रोकने के लिए पोलेरायिडो का इस्तेमाल किया जाता है|
प्रकाश के व्यवहार के अनुसार वस्तुओ का विभाजन:
प्रदीप्त वस्तु:
जो अपने प्रकाश से दीप्त होती है, जैसे- सूर्य, बल्ब आदि|
अप्रदिप्त वस्तु:
जिनका अपना प्रकाश नहीं होता, किन्तु निर्भर होती है, जैसे- मेज, कमरा|
पारदर्शक वस्तुए:
जिसमे से प्रकाश की किरने गुजर जाती है, जैसे- कांच|
अर्ध-पारदर्शक वस्तुए:
जैसे- तेल लगे हुए कागज से कुछ हिस्से से प्रकाश गुजर जाता है, कुछ से नहीं|
अपारदर्शक वस्तुए:
जिसमे से प्रकाश की किरने नहीं गुजर पाती, जैसे- धातु|
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Bahut achchha answer hai
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