ठण्डी ज्वाला या कोल्ड फ्लेम क्या होता है? What is the Cold Flame

Blue blazing flame on a black background vector

ठण्डी ज्वाला (कोल्ड फ्लेम), जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह ठण्डी ज्वाला अर्थात् ऐसी ज्वाला है, जो स्पर्श में आने पर गर्म नही लगती और त्वचा को जलाती नही है। 

साधारण रूप में अधिकतम 400℃ से निम्न तापमान से युक्त ज्वाला को ठण्डी ज्वाला कहा जाता है।

यह रासायनिक प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली ऐसी ज्वाला है, जिसमें ताप की दर अत्यधिक निम्न अवस्था में आ जाती है।

सन् 1810 में “हम्फ्री डेवि” द्वारा अपने एक प्रयोग के दौरान कोल्ड फ्लेम की खोज की गयी थी।  

आम तौर पर आग (ज्वाला) में पाये जाने वाले अणु छोटे अणुओं में परिवर्तित होकर ऑक्सीजन के साथ मिलकर कार्बन डाई-ऑक्साइड का रूप लेकर ज्वलनशील हो जाते हैं, जबकि ठण्डी ज्वाला के कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं तथा एक-दूसरे से साथ श्रृंखलाबद्ध रूप से जुड़े रहते हैं, अतः ये कार्बन डाई-ऑक्साइड से मुक्त होने के कारण ज्वलनशील व गर्म नही होते हैं।

साधारण ज्वाला की तरह कोल्ड फ्लेम को आसान तरीके से प्राप्त नही किया जा सकता। कोल्ड फ्लेम को दिन की रोशनी में  स्पष्ट रूप से देखा नही जा सकता, जबकि अंधेरे वाली जगह में इसे पूर्णतया स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि ठण्डी ज्वाला का रूप साधारण ज्वाला से भिन्न है।

कोल्ड फ्लेम का रंग नीला दिखाई पड़ता है और कभी कभी बैगनी भी।

Normally (अक्सर ) जब हम आग जलाते हैं तो अणु छोटे छोटे टुकडो में टूट जाते हैं और ऑक्सीजन के साथ मिलकर कार्बन डाई ऑक्साइड बनाते है लेकिन कोल्ड फ्लेम में ऐसा नही होता।

कोल्ड फ्लेम में बड़े बड़े कण टूटते है जो फिर आपस में जुड़ जाते है इसलिए कोल्ड फ्लेम में बहुत कम मात्र में प्रकाश और कार्बन डाई ऑक्साइड निकलता है।