कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम कैसे किया जाता है?

पर्यावरण विशेषज्ञों ने हाल ही में यह चेतावनी दी है कि ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा की दिन प्रतिदिन होती वृद्धि ने पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव के लिए जानलेवा खतरा उत्पन्न कर दिया है जिसे यदि वक्त रहते रोका न गया तो खुली हवा में सांस तक लेना दुभर हो जायेगा|

अमेरिका में रोज होने वाले प्रयोगों में CO2 के उत्सर्जन को यंत्रो द्वारा नापा जाता है एवं अभी हुए नापन में यह आंकड़ा 10 लाख के भी पार चला गया जो कि खास चिंता का विषय बना हुआ है|

अभी हाल ही में हुए प्रयोगों के अनुसार एक नयी जानकारी सामने आई है जो कार्बन डाईऑक्साइड के प्रभाव एवं उसके उत्सर्जन को कम करने में सहायता करती है और हम यहाँ उसके बारे में चर्चा करेंगे|

क्या है कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव को कम करने की तकनीक:

काफी प्रयोगों एवं शोध के बाद वैज्ञानिकों ने पालिमोर से विकसित एक कोर शैल कैप्सूल का अविष्कार किया है जिसे Lawrence Livemore National Laboratory में बनाया गया है|

इस कैप्सूल में सोडियम कार्बोनेट को भरा गया है जिसमे Co2 के प्रभाव एवं उत्सर्जन को कम करने का विशेष गुण पाया जाता है|

वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि शायद इस तकनीक की मदद से पर्यावरण को हुए नुकसान को भविष्य में रोका जा सकेगा|

सोडियम कार्बोनेट छोटी-छोटी बूंदों के रूप में कैप्सूल में खुद को सील रखता है एवं CO2 के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करता है जो इसका अवशोषण भी करता है|

इसके साथ ही बिजली बनाने के लिए प्राक्रतिक गैस एवं कोयले को इस्तेमाल करने से भी कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा ऐसा माना जा रहा है| बेकिंग सोडा का इस्तेमाल अब तक सौन्दर्य प्रसाधन या केवल रसोई तक ही सीमित था किन्तु इसका ऐसा प्रयोग करना एवं उसमे सफलता प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है|

निष्कर्ष:

Co2 के उत्सर्जन के लिए ग्रीनहाउस गैसों का मुख्य योगदान रहता है एवं रोज Co2 के बढ़ते लेवल ने पर्यावरणविदो को अनचाही चिंता में डाल दिया है एवं उन्होंने सभी राष्ट्रों से यह निवेदन किया है कि कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए शीघ्रता से उपाय किये जाने चाहिए जिससे आने वाली तबाही को रोका जा सके|

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