अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत

सर अल्बर्ट आइंस्टाइन भौतिक विज्ञान के जाने माने वैज्ञानिक थे। बीसवीं सदी के प्रारंभिक 20 वर्षों तक अपनी खोजों के लिए विज्ञान जगत में छाए रहे। अपनी खोजों के आधार पर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण, समय और अंतरिक्ष के सिद्धांत दिए। वह सापेक्षता के सिद्धांत e=mc² के लिए जाने जाते हैं।

प्रकाश उत्सर्जन की खोज के लिए उन्हें 1921 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने सापेक्षता के सिद्धांत और सामान्य सापेक्षता जैसे कई सिद्धांत दिए। उनके अन्य योगदानो में सापेक्ष प्रमाण, कोशिकीय गति एवं भौतिकी के ज्यामिति सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने 50 से अधिक पत्र व किताबें लिखी हैं। 1919 में टाइम्स पत्रिका ने उन्हें सर्वकालिक महानतम वैज्ञानिक की उपाधि दी। उनके 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित हुए। सन 1905 मैं उन्होंने शोध पत्रों के आधार पर लेख प्रकाशित किया और सापेक्षता का सिद्धांत दिया। इसके बाद उनका नाम विज्ञान जगत में छा गया। 1933 में उन्होंने जर्मनी की नागरिकता त्याग दी और अमेरिका में रहने लगे।

सापेक्षता का सिद्धांत

सापेक्षता के सिद्धांत से आइंस्टाइन ने यह अनुमान लगाया था कि ब्रह्मांड के बनने या विस्तार करने की कोई निश्चित दर नहीं है। ब्रह्मांड की सभी चीजें एक दूसरे के सापेक्ष बढ़ रही हैं मतलब की एक दूसरे से सापेक्ष मात्रा में दूर जा रही हैं। इसलिए से सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत कहा जाता है। समय किसी के लिए भी एक जैसी दर पर नहीं चलता। एक तेजी से चल रही वस्तु उसकी दिशा में धीरे से चल रही है।वस्तु से छोटी दिखाई देती है। यह असर काफी सूक्ष्म होता है। जब तक यह गति प्रकाश की गति के समीप नहीं पहुचती तब तक यह घटना दिखाई नहीं देती। कोई भी पिंड अगर तेज गति से या फिर प्रकाश की गति के आसपास प्रवाह करता है तो समय धीरे हो जाएगा ताकि प्रकाश की गति बनी रहे और प्रकाश की गति टूटे ना।

उदाहरण: मान लीजिए आपका एक दोस्त प्रकाश की गति से अंतरिक्ष यात्रा करने गया है।अंतरिक्ष विमान में होने के कारण उसे सब सामान्य लगेगा। उसके अनुसार समय बहुत धीरे चलेगा लेकिन जब वह पृथ्वी पर वापस आएगा तो वह अपने भविष्य में होगा। यहाँ यह पता चलता है कि समय किसी के लिए एक जैसी दर पर नहीं चलता। इसका मतलब यह है कि अगर आपके लिए 2 घंटे गुजरे हैं तो ब्रह्मांड में सभी के लिए 2 घंटे गुजरे हो ऐसा जरूरी नही। तेज गति में घूमने वाले विमानों के लिए समय बहुत ही धीरे गुजरता है उसी तरह ज्यादा ग्रेविटी वाले फील्ड में गुजरने वाले विमानों के लिए भी समय बहुत ही धीरे गुजरता है। यदि आप ब्लैक होल के नजदीक हो तो समय दूसरे लोगों की तुलना में धीरे गति से चलने लगेगा।

उदाहरण: मान लीजिए कि बम ब्लास्ट होता है। दो अलग-अलग लोग उस बम ब्लास्ट से 10 किलोमीटर और 15 किलोमीटर की दूरी पर हैं। उसकी आवाज को पहले आदमी तक पहुंचने में 5 सेकंड और दूसरे आदमी तक पहुंचने में 10 सेकंड का समय लगा।अगर पहले आदमी से यह पूछे कि बम ब्लास्ट कब हुआ था। वह कहेगा 5 सेकंड पहले और दूसरा आदमी कहेगा 10 सेकंड पहले। तो दोनों में से कौन सही कह रहा है दरअसल दोनों ही अपनी-अपनी जगह सही हैं। इससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि समय relative होता है, एब्सोल्यूट नहीं होता।

सर अल्बर्ट आइंस्टाइन की इसी उम्दा सोच ने सापेक्षता के सिद्धांत को जन्म दिया। जिसने भौतिक विज्ञान में एक नई सोच को पैदा किया। पूरे ब्रह्मांड में कोई भी गति प्रकाश की गति से तेज नहीं है। उनकी खोज के बाद उन्हें खूब नाम और शोहरत मिली। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यह महसूस हुआ कि उनका यह सिद्धांत असल दुनिया में कार्य नहीं करेगा। कोई भी वस्तु एक सामान्य दर से प्रवाह नहीं करती सभी चीजें त्वरण करती हैं।