उत्तर – ईश्वर ने सभी जीवों को पेट दिया है इस पेट को भरने के लिए सभी दिन रात लगे रहते हैं । अपने आहार में कुछ साग सब्जी का प्रयोग करते हैं तो कुछ मांस खाकर तृप्त होते हैं ।
वैसे आज के दौर में मांस और शराब के शौकीन लोगों की कमी नहीं है लोग समझते हैं कि शाकाहार से शक्ति नहीं मिलती है और शरीर कमजोर तथा अस्वस्थ हो जाता है लेकिन हकीकत इससे अलग है क्योंकि मांस का आहार एक दिन रोगी बना कर ही छोड़ता है ।
एक तरफ शाकाहार स्वास्थ्य परक, सौंदर्य परक, अहिंसा मूलक है तो दूसरी तरफ मांसाहार रोगों का घर है। शाकाहार से लोगों के अंदर सदाचार, भाईचारा अपनत्व स्नेह आदि चारित्रिक गुणों का विकास होता है तो वही मांसाहार से दुर्गुण , द्वेष, आपसी कलह और चरित्र का नाश होता है । मांसाहार से मन अशांत और चंचल होता है जहां रोज लड़ाई झगड़े ईर्ष्या बेईमानी और भय का वातावरण बना रहता है।
चोरी करना दूसरों को ठक लेना और मानसिक रोगों का घर मांसाहार ही है । आज विदेशों में जो व्यभिचार और मानसिक अशांति बढ़ी है वह मांसाहार के चलते ही हुआ है विभिन्न प्रकार के महामारी जैसे तंबोला, सार्स, कोरोना यह सब मांसाहार की ही देन है । कोरोना जिससे रोज हजारों लोग मर रहे हैं यह मांसाहार की ही देन ही है , जो विदेश से आया है वैसे , हमारे शरीर की संरचना मांसाहार की नहीं है हमारे दांत शाकाहारी वाले हैं , कैनान विकसित नहीं है आंत भी गरिष्ठ भोजन को नहीं पचा पाता गाय, बंदर ,घोड़ा , हाथी,उंट इनके स्वभाव को देखें यह यह क्रूर नहीं होते क्योंकि यह शाकाहारी होते हैं और यह कमजोर भी नहीं होते हैं ,ये दीर्घजीवी होते हैं अतः मांसाहार कभी भी हमारे लिए अच्छा नहीं है।
क्या मांसाहार में ज्यादा शक्ति होती है ?
उत्तर है नहीं लोग यह सोचते हैं कि अंडा और मांस में अधिक प्रोटीन और विटामिन पाया जाता है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है 100 ग्राम अंडे में 13 ग्राम प्रोटीन 100 ग्राम मांस में 18 से 22 ग्राम प्रोटीन होता है जबकि 100 ग्राम सोयाबीन में 43 ग्राम पनीर में 24 ग्राम मूंगफली में 26 ग्राम चना में 24 ग्राम , मूंग दाल में भी 24 ग्राम प्रोटीन होता है कैलोरी की बात करें तो सौ ग्राम अंडे में 143 कैलोरी और 100 ग्राम मांस में 114 कैलोरी से 194 कैलोरी होता है जबकि 100 ग्राम सोयाबीन में 432 कैलोरी और मूंग दाल में 334 कैलोरी होता है
क्या शाकाहारी कमजोर होते हैं ? या अस्वस्थ होते हैं ?
शाकाहारी भोजन शरीर को स्वस्थ रखकर हमें शतायु दीर्घ जीवी बनाता है इस पर हजारों बार अध्ययन हुए हैं और यही निष्कर्ष निकला है कि शाकाहारी , मांसाहारी के तुलना में अधिक स्वस्थ और निरोग होते हैं शाकाहारियों में भोजन प्रतिरोधक क्षमता मांसाहारीओं से अधिक होती है।शाकाहारियों में कब्ज, बवासीर, कोलाइटिस, त्वचा रोग गुर्दे का रोग, अल्सर या अन्य संक्रामक रोग कम होते हैं जबकि मांसाहारीओं में तेल मसाला के चलते भोजन विषाक्त हो जाता है और कब्ज, अल्सर, पेचिश, बवासीर, लिवर की खराबी अपच और आंतों के रोग होते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि एक तरफ शाकाहारी निरोगी काया के मालिक होते हैं तो दूसरी तरफ मांसाहारीओं में रोगों का घर होता है , शाकाहारी का मन स्वस्थ और सात्विक होता है वही मांसाहारी अक्सर अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं , शाकाहारी भोजन से जहां स्मरण शक्ति तेज होती है वही मांसाहारी मलिन बुद्धि के और आलसी प्रवृत्ति के होते हैं विश्व समुदाय में अधिकतर लोग शाकाहारी बनने के पक्षधर हैं इसलिए 25 नवंबर को हर साल विश्व मांसाहार निषेध दिवस मनाया जाता है हमें भी शाकाहारी बन कर अपना अपने समाज और अपने देश का उत्थान करना चाहि
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