भाप क्या है?
जल को अत्यधिक ताप देने से इसका आयतन बढ़ता है तथा 100° सेल्सियस से अधिक गर्म होने पर यह जिस रूप में उड़ता है, उसे वाष्प या भाप कहते हैं। साधारण शब्दों में,जल को गर्म करनेसे निकलने वाली वाष्प को भाप कहते हैं अर्थात् जलवाष्प को भाप कहते हैं। यह गैसीय रूप में होती है।
जल को भाप में परिवर्तित करने के लिए जिस ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे भाप की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
इसके अलावा किसी अत्यधिक गर्म वस्तु पर पानी डालने से भी उसमे से भाप निकलती है।
यदि भाप की प्रकृति के बारे में बात की जाए तो यह दो तरह से हो सकती है-
आर्द्र भाप व शुष्क भाप।
आर्द्र भाप- जब भाप में बूँदों के रूप में जल की कुछ मात्रा उपस्थित रहती है तो इसे आर्द्र भाप कहते हैं। यह सामान्यतः दृश्य होती है अर्थात् इसे देखा जा सकता है, क्योंकि जल की उपस्थिति के कारण यह सफेद रंग लिए हुए होती है।
शुष्क भाप- इसी के विपरीत जब भाप जलविहीन हो तो इसे शुष्क भाप कहा जाता है। यह अदृश्य होती है, क्योंकि जल के पूर्ण अभाव के कारण इसका कोई रंग नही होता।
भाप के उपयोग-
भाप के उपयोग का इतिहास बहुत बड़ा है। इसका उपयोग ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा के रूपमें परिवर्तित करने के लिये किया जाता है। लगभग 300 ईसा पूर्व भाप को यांत्रिक ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने का पहला श्रेय एलेक्जेंड्रिया के व्यक्ति को जाता है, जिनका नाम “हीरो” था। इन्होंने भाप से खिलौनों में गति पैदा की थी अर्थात् भाप से चलने वाले छोटे-छोटे खिलौने निर्मित किये थे।
1698 ईस्वी में”सेवरी” नामक व्यक्ति द्वारा भाप से चलने वाली एक मशीन बनाई गयी। इस वाष्पयान का उपयोग खदानों तक पानी की व्यवस्था करने हेतु तथा कुओं से पानी निकालने के लिए किया जाता था।
सेवरी के बादभाप इन्जन के रूप में एक नया आविष्कार “टॉमस न्यूकॉमेन” द्वारा किया गया। उनके इस आविष्कार को न्यूकॉमेन इन्जन के नाम से जाना गया। लगभग 50 वर्षों तक इसका व्यावसायिक उपयोग किया गया।
टॉमस न्यूकॉमेनके इस आविष्कार के कारण सर जेम्स वाट को अपने आविष्कार के लिए एक दिशा मिली, क्योंकि न्यूकॉमेन द्वारा बनाये गए वाष्पयान की मरम्मत की जिम्मेदारी वाट को मिली थी। मरम्मत कार्य के दौरान यन्त्र में रुचि रखने वाले वाट ने अपनी बौद्धिक क्षमता का बाखूबी इस्तेमाल करते हुए यह पाया कि उसमे ईंधन बहुत व्यर्थ होता है तथा इसका सही उपयोग नही हो रहा है। बाद में इसमें सुधार करके नया रूप दिया गया। अतः मुख्य रूप से भाप का सबसे बड़ा उपयोग 19वीं सदी के आरम्भ में “सर जेम्स वाट“द्वारा भाप से चलने वाले इन्जन का आविष्कार करके किया गया।
सन 1884 में “सर चार्ल्स पेर्सन्स” द्वारा एक ऐसी मशीन का निर्माण किया गया, जिससे भाप की ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा का रूप प्रदान किया जाता है। इस मशीन को वाष्प टरबाईन कहा जाता है। वर्तमान समय तक भी यान्त्रिक ऊर्जा के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
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इसके पश्चात् भाप से चलने वाली कई छोटी मशीनों का भी निर्माण किया गया।
आधुनिक समय में कई तरह से भाप का उपयोग किया जा रहा है।
शीत युक्तप्रदेशों में घरों में गर्माहट बनाये रखने के लिए भाप का इस्तेमाल किया जाता है।इसमें घर के सबसे नीचे वाले भाग में गर्म पानी से भाप पैदा की जाती है तथा नलिकाओं से होती हुई भाप कमरों तक पहुंचकर तापमान को बढ़ाती है। सौन्दर्य के क्षेत्र में भीभाप का उपयोग किया जाता है। चेहरे की स्वच्छता व रोमछिद्रों को खोलने के लिए भापका उपयोग किया जाता है।
स्वास्थ्य हेतुचिकित्सा क्षेत्र में भी शरीर को भाप प्रदान की जाती है। इसे वाष्पस्नान कहा जाता है। इसमें भापयुक्त कक्ष का उपयोगकिया जाता है| इससे शरीर की विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज करने हेतु प्रयोग कियाजाता है, एवं आयुर्वेद में भाप का काफी महत्व है| इस प्रकार आज के आधुनिक युग में भाप का कई प्रकार से उपयोग किया जाता है, इसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता एवं इसके अविष्कार एवं प्रयोग का इतिहास भी काफी रोमांचक रहा है|उम्मीद है, कि आपको इस लेख से अच्छी जानकारी मिली होगी एवं कुछ नया खोजने की प्रेरणा प्राप्त हुई होगी|
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ठंडी में मुंह से निकली bhap दिखाई पड़ता है लेकिन गर्मी में नहीं l क्यों ?