अपने विशाल आकार एवं भारी वजन के कारण बृहस्पति को सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है| सूरज से दूरी के आधार पर यह पांचवे नम्बर का ग्रह माना गया है जिसे कुछ वैज्ञानिक गैस का राक्षस भी कहते है|
यदि चमक की बात करे तो इसका स्थान चौथा है, इससे पहले सूर्य, चन्द्रमा, एवं शुक्र ग्रह अधिक चमकीले होते है| देखने में यह पीले रंग का दिखाई पड़ता है, एवं अंग्रेजी में बृहस्पति को Jupiter कहा जाता है|
आज हम आपको बृहस्पति से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से अवगत करवायंगे जिससे सौरमंडल के एक और अद्भुत ग्रह के बारे में आप जान सकेंगे, परन्तु पहले इसकी रुपरेखा के बारे में जानना आवश्यक है:-
बृहस्पति का वजन- 18.98.130 खरब किलोग्राम, पृथ्वी से कई सौ गुना अधिक
भू-मध्य व्यास- 1.42.984 कि.मी.
सूर्य से दूरी- 77.83.40.821 कि.मी.
ध्रुवीय व्यास- 1.33.709 कि.मी.
सतह का तापमान- -108c
उपलब्ध उपग्रह- 79
भू-मध्य रेखा की लम्बाई- 4.39.264 कि.मी.
रोचक तथ्य:
# अपने विशाल आकार एवं अत्यधिक द्रव्यमान के कारण यह सबसे बड़ा ग्रह माना गया है, जिसका वजन हमारी पृथ्वी से 317.83 गुना अधिक है, जो काफी ज्यादा है|
# बृहस्पति के उपर वायुमंडल को निर्मित करने के लिए कई प्रकार का बादलों की परतें नजर आती है जिनमे रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती रहती है, इन्ही के कारण बृहस्पति में विभिन्न प्रकार के रंग नजर आते है|
# बृहस्पति की सतह ठोस न होकर गैसीय होती है एवं गहराई बढने के साथ इस गैसों का घनत्व भी बढ़ता जाता है इसलिए इसे गैस का दानव ग्रह भी कहा जाता है|
बृहस्पति अपनी धुरी पर तेजी से चक्कर लगाता है जिसके कारण इसका एक दिन अन्य ग्रहों की अपेक्षा काफी छोटा होता है एवं यह केवल 9 घन्टे 55 मिनट या 10 घन्टे का ही होता है एवं तीव्र गति से घुमने के कारण इसका आकार दूर से चपटा नजर आता है|
# यह 90% हाइड्रोजन, 10% हिलीयम, थोड़ी बहुत अमोनिया, मिथेन, एवं पानी व् कठोर चट्टानी कणों के संयोजन से मिलकर निर्मित हुआ है|
# यदि आप बृहस्पति ग्रह की तस्वीर देखेंगे तो इसमें लाल रंग की आँख के जैसी आकृति नजर आएगी जिसे बृहस्पति की लाल आँख भी कहा जाता है| इस ग्रह पर तकरीबन 350 वर्षों से तूफ़ान उठ रहे है जो कि इतने विशाल है, कि उसमे हमारी पृथ्वी के जैसी 3 या 4 ग्रह समा सकते है| बृहस्पति की लाल आँख के उभरने का कारण भी लाल बादलों का अधिक समय तक उसी अवस्था में बने रहना बताया गया है किन्तु यह अभी तक पता नहीं लग पाया कि ये लाल बदल इतने समय तक उच्च दबाव वाले स्थान में जैसे के तैसे कैसे बने हुए है|
# बृहस्पति पर जब सूरज की पराबैंगनी किरने पडती है तो इसके बादलों का रंग भी बदलता रहता है|
# बृहस्पति पर 360 कि.मी. प्रति घंटा की तेजी से तूफानी हवाए चलना आम बात है| इसपर दिखने वाले बदल अमोनिया हाइड्रो सल्फाइड एवं अमोनिया क्रिस्टल से बने होते है जिनका प्राक्रतिक रंग भूरा एवं नारंगी होता है|
# सर्वप्रथम गैलीलिओ ने सन 1610 ई. में बृहस्पति ग्रह को अपनी दूरबीन से देखा था एवं उन्होंने ही इसके उपग्रहों की खोज की थी, जिनके नाम है: आयो, गैनिमिड, युरोपा, और कैलिस्टो| इन उपग्रहों को “ गैलीलियन उपग्रह” के नाम से भी जाना जाता है|
# बृहस्पति का गैनिमिड उपग्रह बुध ग्रह से काफी बड़ा है जिसे अब तक का सबसे बड़ा उपग्रह माना गया है| युरोपा पर एक विशाल समुंद्र हो सकता है ऐसा वैज्ञानिको का मानना है इसी कारण इस उपग्रह को विशेष दर्जा प्राप्त है|
# बृहस्पति ग्रह अपने गुरुत्वाकर्षण द्वारा कई बड़े पथरों को पृथ्वी तक आने से पहले अपने में समा लेता है इसलिए इसे पृथ्वी का vacume cleaner भी कहा जाता है| यदि बृहस्पति ग्रह न हो तो पृथ्वी का विनाश होने में समय नहीं लगेगा| इसका गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 2.4 गुना अधिक है आसान शब्दों में कहे तो यदि धरती पर आपका भर 40 kg है तो Jupiter पर यही भार 94 किलो होगा|
# गैलिलियो ने अपनी खोज में यह सत्य उजागर किया कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है| साथ ही बृहस्पति के उपग्रह उसका चक्कर लगाते है एवं अन्य ग्रह केवल पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करते| उनके इस तथ्य का जोरदार विरोध किया गया जिसके चलते गैलिलियो ने सजा मिलने के डर से अपना बयान वापस लिया एवं माफ़ी मांगी|
# सबसे पहले पायोनियर को बृहस्पति पर डाटा इकठा करने के लिए 1973 में भेजा गया था| अब तक कुल 8 यान बृहस्पति पर भेजे जा चुके है जिसमे से गैलिलियो यान बृहस्पति पर 8 सालो तक रहा एवं उसने काफी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित की|
# हिन्दू धर्म में बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है एवं रोमन काल में भी बृहस्पति को रक्षा करने वाला माना जाता था|
# बृहस्पति ग्रह का यदि पता हो तो आप इसे बिना किसी यंत्र की सहायता के भी देख सकते है| यदि बृहस्पति को एक तारा बनना हो तो इसे 65% तक और विशाल बनना होगा|
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