आप सभी टेलीफोन के बारे में तो जानते ही होंगे। दूर बैठे लोग एक दूसरे से बात करने के लिए टेलीफोन का इस्तेमाल करते है. टेलीफोन का अविष्कार सबसे पहले ऐलेक्जैंडर ग्रैहैम बेल ने अपने सहायक टॉमस वाट्सन की सहायता से 10 मार्च 1876 बनाया था. ग्रैहैम एक तार की मदद से एक ऐसा उपकरण बनाना चाहते थे जिससे की दो लोगो की आवाज़ उस तार की मदद से सुनी जा सके. काफी समय मेहनत और खोज करने के बाद उन्होंने आखिरकार ये अविष्कार कर ही दिया।
सोचिए अगर टेलीफोन नहीं होता तो हमारी जिंदगी कैसी होती। हम दूर बैठे अपने रिश्तेदारों और मित्रों से बात नहीं कर पाते। शुरुआत में टेलीफोन लाइन्स को बड़े बड़े शेहरो में लगाया गया. किन्तु बाद में इसे छोटे छोटे शेहरो और बस्तियों में भी लगाया गया. पहले तो कई सरकार ने इसे अपने देश में लागु करने से माना कर दिया किन्तु जैसे जैसे इसकी प्रतिस्ठा बढ़ती गयी वैसे वैसे सभी देशो ने इसे लागु करना शुरू कर दिया। टेलीफोन की इतनी बड़ी सफलता ने यूरोप में हलचल मचा दी. शुरुआत में टेलीफोन के तार से 13 किलोमीटर तक सुनी जा सकती थी.
किन्तु बाद में इसे 229 किलोमीटर तक बढ़ाने में कामयाब रहे. ग्रैहम बेल द्वारा स्थापित टेलीफोन कंपनी का पहला विज्ञापन 1877 में बोस्टन के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ. इसमें 32 किलोमीटर तक आवाज़ सुनाई जाने की बात कही गयी थी. कुछ समय बाद देखते ही देखते टेलीफोन इंग्लैंड में प्रचलित होने लगा. शुरुआत में टेलीफोन आने पर घंटी नहीं बजती थी. टेलीफोन में बज़र लगा होता है जिसे बाद में घंटी के रूप में बदल दिया गया. कोलकाता के मोदी टेलीस्ट्रा के मोबाइलनेट जीएसएम नेटवर्क पर 31 जुलाई 1995 को भारत में पहला सेलुलर कॉल बनाया गया था। इसके बाद पूरे भारत में इसका निर्माण शुरू किया गया. भारत में पहली बार कोलकाता में टेलीफोन का इस्तेमाल किया गया था. क्योकि यह ब्रिटिश भारत की राजधानी थी.
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