आधुनिक समय में जल प्रदूषण अत्यंत चिंता का विषय बना हुआ है एवं इससे लड़ने के लिए कई उपाय किये भी जा रहे है| किन्तु मनुष्य को यह समझना होगा कि यह किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं अपितु सभी को प्रकृति को पहुचाये नुकसान को दूर करने के लिए सहयोग देना होगा|
यदि समय रहते जल प्रदूषण को नहीं रोका गया तो अगले कुछ वर्षों में इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध शायद पानी के लिए हो| इसलिए सबसे पहले जल प्रदूषण के कारणों का पता लगाकर उसे रोकने के उपाय किये जाने चाहिए| इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है:-
औद्योगिक व तकनीकी विकास- उद्योगों व तकनीकी कार्यविधियों के दौरान कई तरह के ठोस व द्रव अपशिष्ट निकलते हैं, जिनकी निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण ये नाली से नहरों व नदियों में मिलकर जल को जहरीला बना देते हैं।
घरेलू अपशिष्ट पदार्थ- घरों से निकलने वाले कूड़े, मल-मूत्र व अन्य कचरे के नष्ट न होने के कारण यह नालियों के द्वारा जल के अन्य स्त्रोतों में मिलकर जल को दूषित करता है।
धार्मिक प्रचलन- हिंदू धर्म में पूजा सामग्री, शव, अस्थि आदि का नदियों में प्रवाह करने जैसे रिवाज भी जल प्रदूषण जी वजह बनते हैं। ऐसी धार्मिक गतिविधियों के कारण पानी गन्दा हो जाता है।
अम्ल वर्षा- अम्ल वर्षा एक प्रकार के रसायन से युक्त जल की वर्षा होती है। जहाँ कहीं भी अम्ल वर्षा होती है, उस क्षेत्र के जल स्थान में यह अम्ल मिलकर उसे रसायन से युक्त कर देता है और जल हानिकारक हो जाता है।
रासायनिक प्रयोगशाला- कुछ प्रयोगशालाओं में रसायनों के नए-नए प्रयोग किये जाते है और कहीं ऐसे उत्पादों का निर्माण किया जाता है, जिनमें भिन्न-भिन्न रसायनों का उपयोग होता है। ऐसे प्रयोगों व उत्पाद निर्माण के दौरान जो रसायन अपशिष्ट के रूप में निकलने है, वे भी बहते हुए जल में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।
खेतों से निकासी- आजकल कृषि कार्य में खेती में वृद्धि के लिए रासायनिक खाद, रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है। ये रासायनिक उत्पाद मिट्टी में मिलकर भूमि प्रदूषण करते है तथा खेतों में दिया जाने वाला पानी भी रसायन से युक्त हो जाता है और अतिरिक्त पानी आगे नालियों से निकलता हुआ नहरों में मिलकर जल को भी रसायन युक्त कर के दूषित कर देता है।
ज्ञान का अभाव- ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें जल प्रदूषण का मतलब ही नही पता, क्योंकि वे पढ़े-लिखे नही है तथा ज्ञान के विभिन्न स्त्रोतों के उपयोग से भी अछूते हैं। ऐसे लोग अपनी अज्ञानता की वजह से जल को दूषित करते जा रहे हैं और वैसे ही दूषित जल का नियमित उपयोग भी कर रहे हैं। फलस्वरूप इससे होने वाले नुकसान को भी झेल रहे हैं।
जन सामान्य की लापरवाही- अधिकतर लोग जो जल-प्रदूषण के नुकसान व कारणों से अनभिज्ञ नही हैं, लेकिन फिर भी वे लापरवाही दिखाते हुए ऐसे कार्य करते हैं जो जल को गन्दा करते हैं। जैसे नहरों के किनारे कपड़े धोना, घर का कचरा नहरों में बहाना, नदी में नहाते हुए मल-मूत्र त्याग देना व साबुन का प्रयोग करना आदि।
जल प्रदूषण के निवारण-
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कारणों के ज्ञान से ही निवारण होगा। उपर्युक्त वर्णित सभी कारणों पर ध्यान देकर इन्हें कम करने या खत्म करने के प्रयास से ही जल प्रदूषण में कमी लायी जा सकती है।
समय-समय पर आम जनता को जल प्रदूषण से होने वाले खतरों से सचेत करवाने के कार्य भिन्न-भिन्न माध्यमों जैसे स्कूल, कॉलेज, नुक्कड़ कार्यक्रम, इन्टरनेट, विज्ञापन, टी.वी. आदि के द्वारा किये जाने चाहिए।
घरों, उद्योगों, प्रयोगशालाओं व प्रत्येक स्थान से अपशिष्ट की निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
हर व्यक्ति को अपने स्तर पर जल-प्रदूषण की रोकथाम के सुधारात्मक प्रयास करने चाहिए|
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