गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में आप सब जानते ही हैं। हमारे दैनिक जीवन में प्रतिदिन गुरुत्वाकर्षण बल के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं।
आज के इस लेख में हम बतायेंगे कि गुरुत्वाकर्षण बल को नापा कैसे जा सकता है?
विज्ञान का विस्तार असीमित है। अनेक वैज्ञानिकों द्वारा अपने प्रयोगों व ज्ञान के आधार पर अलग-अलग सूत्र व समीकरण दिए गए हैं।
विज्ञान के आधार पर गुरुत्वाकर्षण बल को नापने के लिए न्यूटन द्वारा दिए गए सूत्रों का प्रयोग किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
F1=G m1× m2/ r^2=F2
इसमें G की गणना निम्न प्रकार से की जायेगी-
G= 6.67×10^-11 Nm^2/kg^2
इन दोनों सूत्रों का स्पष्टीकरण इस प्रकार है-
F1= पहली वस्तु का भार।
F2= दूसरी वस्तु का भार।
M= द्रव्यमान।
m1= पहली वस्तु (पिंड) का द्रव्यमान।
m2= दूसरी वस्तु (पिंड) का द्रव्यमान।
r= दूरी, जो कि दोनों वस्तुओं (पिण्डों) के मध्य की दूरी होगी।
G= सार्वत्रिक नियतांक है, जिसकी गणना हमेशा उपर्युक्त सूत्र के आधार पर होगी।
नोट:- G के मान में परिवर्तन कुछ परिस्थितियों में आ सकता है, जैसे-
धरती तल से ऊपर या नीचे जाने के दौरान G का मान कम होता है।
विषुवत् रेखा पर G का मान सर्वाधिक कम होता है।
धरती के ध्रुव पर G का मान सबसे अधिक होता है।
धरती की घूर्णन चाल के बढ़ने पर G का मान घट जाता है।
धरती की घूर्णन चाल घटने पर G का मान बढ़ जाता है।
इस सूत्र में G से तात्पर्य है- गुरुत्वजनित तीव्रता।
गुरुत्वाकर्षण ऐसा बल है जो आकर्षण पर आधारित है। पृथ्वी अपने आसपास स्थित ग्रहों व पिण्डों को आकर्षित करती है। यदि पृथ्वी व इन पिण्डों के मध्य बल में शून्यता आ जाये तो ये पिण्ड तीव्र वेग के साथ पृथ्वी पर आकर गिरते जायेंगे। कल्पना में यह स्थिति बहुत भयावह प्रतीत होती है। आकर्षण बल के कारण किसी पिण्ड में आने वाली त्वरण (तीव्रता) को ही गुरुत्वजनित तीव्रता कहते हैं|
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