क्यों इतने प्रसिद्ध हुए अकबर, अशोक एवं चन्द्रगुप्त मौर्य?

इतिहास बहुत से समृद्ध एवं शक्तिशाली लोगों से भरा हुआ है जिसे उंगलियों पर गिनना आसान नहीं किन्तु फिर भी कुछ लोग ऐसे हुए जिन्होंने अपने शासन काल के दौरान कुछ ऐसा किया जिसने उन्हें प्रसिद्ध बना दिया|

आइये देखते है कि बादशाह अकबर, चक्रवर्ती सम्राट अशोक, एवं चन्द्रगुप्त मौर्य ने ऐसा क्या किया जो उन्हें आज तक भुलाया नहीं जा सका एवं शायद आने वाली पीढ़िया भी उन्हें कभी भुला नहीं सकेंगी|

अकबर:

जलालुदीन मुहम्मद या अकबर-ए-आजम के नाम से पुकारे जाने वाले मुग़लवंश के तृतीय शासक शहंशाह अकबर का जन्म 15 अक्तूबर 1542 ई. में पूर्णिमा के दिन हुआ|

कम उम्र में ही सिंहासन का भार इनके कंधे पर आ गया एवं कुछ वर्षों तक बैरम खान की देखभाल में रहे|

अकबर ने जल्दी ही सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अपना अधिकार कर लिया एवं अन्य राजाओं के प्रति नरमी की नीति अपनाई एवं राजपूतो से संधि की जिसमे उन्होंने जोधाबाई से विवाह किया एव उन्हें अच्छे से मान-सम्मान के साथ अपनाया|

अकबर के सेनापति का नाम मानसिंह था एवं इनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाई हल्दीघाटी का युद्ध था जो महाराणा प्रताप एवं अकबर के मध्य 1576 ई. को लड़ा गया था| महाराणा प्रताप ने अकबर से संधि करना एवं उसके आगे झुकना स्वीकार नहीं किया इसलिए यह युद्ध हुआ जिसमे न तो कोई जीता न ही किसी की पराजय हुई|

अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही धर्म’ की स्थापना की एवं इनके प्रसिद्ध नवरत्नों में तानसेन जो कि अद्भुत संगीतकार माने जाते है ने यही अपना जीवन व्यतीत किया|

चन्द्रगुप्त मौर्य:

मौर्य वंश की स्थापना करने का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य को दिया जाता है| इनका जन्म पाटलिपुत्र में 340 BC पूर्व हुआ| इनके पिता का नाम नंदा था एवं माता का नाम मुरा था|

चन्द्रगुप्त मौर्य एक समझदार, बुद्धिमान, एवं साहसी शासक के रूप में उभरे एवं उनके उन शुरूआती गुणों को एक अन्य महान व्यक्ति चाणक्य ने पहचाना एवं उनके गुणों को और निखारा|

चन्द्रगुप्त ने लगभग पूरे भारत पर अपनी विजय का परचम लहराया एवं चाणक्य ने उसकी पूरी मदद की| चाणक्य के नीतियों के द्वारा ही चन्द्रगुप्त सिकंदर महान को हराने में सफल रहे|

अपनी सुझबुझ के कारण चन्द्रगुप्त ने ताकतवर शासक के रूप में शासन किया एवं 50 वर्ष की आयु में जैन धर्म स्वीकार कर लिया एवं संथारा के द्वारा अपने प्राण त्याग दिए|

चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद भी चाणक्य ने इनके बेटे के साथ मिलकर राज्य को चलाना आरम्भ रखा एवं मरते समय तक मौर्य वंश के प्रति ईमानदार बने रहे|

सम्राट अशोक:

चक्रवर्ती सम्राट अशोक कहे जाने वाले इन योद्धा को कई क्रूर एवं पत्थरदिल राजाओं में से एक गिना जाता है किन्तु बाद में जब इनमे बदलाव की लहर उठी तो इनकी रहमदिली ने भी सबको विस्मित कर दिया|        

चन्द्रगुप्त के पौते एवं बिन्दुसार के बेटे अशोक का जन्म पाटलिपुत्र में ही हुआ|

भारत में होने वाले हजारों राजाओं में चक्रव्रती की उपाधि केवल सम्राट अशोक को मिली है, जो कि एक गौरव की बात है|

ऐसा कहा जाता है कि अशोक ने अनेकों युद्ध लड़े एवं अपने हाथों से कई हत्याएं भी कि किन्तु कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने जब भयंकर तबाही एवं जनसंहार देखा तो उसी समय उनका ह्रदय परिवर्तन हो गया एवं उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपना लिया एवं बौध धर्म की शरण में चले गये|

अशोक ने अपने शासनकाल में कई प्रसिद्ध स्तम्भों एवं शिलालेखो की रचना की जो बौध धर्म के प्रतीक है जिसमे से एक है साँची स्तूप एवं आज भी भारत में उनके द्वारा बनवाए गये ये चिन्ह देखे जा सकते है|

अशोक ने 36 साल तक शासन किया एवं एक भी युद्ध में इनकी कभी हार नहीं हुई एवं बाद में ये एक परोपकारी, धर्माधिकारी, एवं अहिंसावादी व्यक्ति के रूप में उभरे एवं इन्ही गुणों ने इनको एक महान राजा बनाया|