सूर्य, चन्द्रमा, और बाकी खगोलीय पिंड, हमारे ग्रह को हर ओर से घेरे हुए हैं। और आकाश में टिमटिमाते तारों और इन सब छोटी बड़ी सनरचनाओं को देखकर हम कितने रोमांचित हो उठते हैं। यही रोमांच जब वैज्ञानिक शोध का आधार बन जाता है, तब अनेकों नए सिद्धांत, नयी खोजें जन्म लेती हैं। और मानव अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को और बेहतर समझ पाता है।
माना जाता है की आज से लगभग 46 करोड़ साल पहले अंतरिक्षीय गैसों का एक बहुत बड़ा बादल किसी ऊर्जा से उद्वेलित हुआ था। और इस हलके से उद्वेलन ने इस बादल में मौजूद कणों को इस के अपने अंतर्गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दुसरे की ओर धकेलना शुरू कर दिया। और इसी हलके से उद्वेलन ने हमारे सौर मंडल की कहानी की शुरुवात कर दी। इस उद्वेलन से आपस में टकराते हुए बादल के कण घूमने और फिर गर्म होने लगे, और इस बढ़ते हुए तापमान और गति ने बादल के बेडौल आकर को एक गोल तश्तरी जैसी आकृति में बदल दिया। इसी तश्तरी के बीचों बीच इतने तेज़ घूर्णन और गर्मी के कारण हुई आणविक प्रक्रियाओं ने हमारे सूर्य का रूप ले लिया जो की आज तक जारी है।
और सूर्य तो केवल शुरुआत थी। धीरे धीरे तापमान कम हुआ, और तापमान में आये इन उतार चढ़ावों ने, कई भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं को जन्म दिया, जिनके परिणाम स्वरुप अलग अलग रासायनिक कण आपस में जुड़ने-चिपकने लगे। और जैसे जैसे कण जुड़ते गए वैसे वैसे खगोलीय पिंड बड़े होते गए और नन्ही ग्रहिकाओं का निर्माण हुआ।
फिर जैसे कण आपस में टकरा रहे थे, उसी तरह ग्रहिकाएँ भी आपस में टकराती-जुड़ती रहीं और और धीरे धीरे इतनी बड़ी हो गयीं के अपना खुद का गुरुत्व उत्पन्न कर सकें और अपने आसपास किसी तरह का पैटर्न या गणितीय करीना बना सकें। और यही ग्रहिकाएँ आज के हमारे सौरमंडल के ग्रहों में बदल गयीं।
हमारे इस विहंगम सौरमंडल से जुड़े और भी कई रोचत तथ्य हैं।
इसमें 1 सूर्य और 8 ग्रह
- मक्यूरि या बुध
- वीनस या शुक्र
- स्वयं पृथ्वी
- मार्स या मंगल
- बृहस्पति या जुपिटर
- शनि या सैटर्न
- युरेनस (अरुण)
- नेप्चून (वरुण)
हैं। इसके अलावा 5 बौने या गौण ग्रह जिनमे प्लूटो या यम, सेरेस, हॉमी माकेमाके और एरिस शामिल हैं।
इसके अलावा इन ग्रहों के कुल, अभी तक 181 चंद्रमाओं की पहचान हो चुकी है। और 566,000 क्षुद्र ग्रह और 3,100 उल्कापिंड भी इस विशाल अंतरिक्षीय क्रीड़ांगन की शोभा बढ़ाते हैं।
हमारा आकाश आश्चर्यों से भरा, अपने रहस्य खोलने के लिए केवल हमारी जिज्ञासा का इंतज़ार कर रहा है।
Bramhand men earth ka size kya hai?
ब्रह्माण्ड में पृथ्वी का साइज़ एक बालू के कण से भी छोटा है