प्रकाश का परावर्तन किसे कहते है
जब प्रकाश किसी चिकने सतह से टकराकर लौट जाता है तो हम इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। प्रकाश के परावर्तन के कारण ही हम किसी वस्तु को देख पाते है।
पृथ्वी पर मौजूद लगभग हर वस्तु जिसे हम देख पाते हैं, प्रकाश को परावर्तित करती है। ब्रह्माण्ड में सिर्फ ब्लैक होल ही एक ऐसा चीज़ है जो प्रकाश को परावर्तित नही करता बल्कि उसे खीच लेता है, इसलिए अगर हम ब्लैक होल पर टोर्च भी जलाये तो वह कला ही दिखेगा क्यों की वह प्रकाश को भी अपने ताकतवर गुरुत्वाकर्षण बल से खीच लेता है और परावर्तित नही करता।
परावर्तन के नियम
आपतित किरण, परावर्तित किरण, और आपतन बिंदु पर डाला गया लम्ब, ये तीनो एक ही सतह पर होते हैं
आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनों बराबर होता है
प्रकाश के परावर्तन के उदाहरण
परावर्तन का सबसे अच्छा उधारण हमारे घर में लगा शीशा (आईना ) है। हम परावर्तन के कारण ही शीशे में अपना चेहरा देख पाते हैं। जब हम शीशे के सामने जाते हैं तो हमारे चेहरे से टकरा कर प्रकाश शीशे पर पड़ता है, और शीशा पर प्रकाश रुकता नही बल्कि यह दुबारा परावर्तित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है और हम इस तरह खुद को देख पाते हैं।
दूसरा उधारण : परावर्तन के आपतित किरण और परावर्तित किरण को समझने के लिए आप किसी समतल दिवार पर लगे शीशे पर टोर्च जलाइए। टोर्च जलाने पर आप यह पाएंगे की आप जैसे जैसे टोर्च को घुमाते है वैसे वैसे शीशे से निकला हुआ परावर्तित किरण भी घूमता है, यह घटना हमारे परावर्तन के दुसरे नियम (आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनों बराबर होता है ) को सिद्ध करता है । टोर्च से निकला हुआ प्रकाश जब शीशे पर पड़ता है तो इसे आपतित किरण कहते हैं और शीशे से टकराकर जो किरण वापस आता है उसे परावर्तित किरण कहते हैं।
परावर्तन के प्रकार
परावर्तन को हम दो भागो में बाँट सकते है
नियमित परावर्तन (specular or regular reflection)
जब प्रकाश किसी चिकने सतह से टकराता है तो नियमित परावर्तन में आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनों ही बराबर होता है और परावर्तित किरने एक दुसरे के सामानांतर ही रहती है।
अनियमित परावर्तन (Diffused or irregular reflection)
जब प्रकाश किसी खुरदरे सतह से टकराता है तो अनियमित परावर्तन में परावर्तित किरने एक दुसरे के सामानांतर ना होकर छितरा जाती हैं।
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