Introduction :
यह बच्चों में होने वाली तकलीफदेह, जानलेवा और खतरनाक बीमारी है। यह Diplococcus Pneumonia नामक जीवाणु द्वारा होता है। जिसमें बच्चों का फेफड़ा बुरी तरह से संक्रमित हो जाती है। ठंड के प्रकोप से यह बीमारी होती है दोनों फेफड़ों के वायुकोष में द्रव या मवाद भर जाता है जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ होती है। कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 1लाख से भी अधिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत निमोनिया के कारण हो जाती है हालांकि यह बीमारी बच्चों के अलावा 65 साल से अधिक उम्र के लोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए ज्यादा हानिकारक होती है उचित इलाज कराने से यह बीमारी 10 से 15 दिनों में ठीक हो जाती है अन्यथा इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो जाती है।
Etiology :
ठंड के दिनों में बच्चे को ठंड लग जाना। दूषित ठंडा जल पीना। नवजात शिशु को जन्म देने वाली मां को सर्दी खांसी होना। ज्यादातर ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना और संक्रमित बच्चों को kiss करने से मोनिया होती है।
Symptoms :
जिस बच्चे को निमोनिया हो जाती है उसे हमेशा सर्दी खांसी बना रहता है और कफ से नाक बंद रहता है। धड़कन तेज हो जाती है, छाती में तेज दर्द होता है, बच्चे का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। जब बच्चा खाशता है तो मुंह से खून आ जाता है। बच्चा लंबा लंबा सांस लेता है छाती से चर चर की आवाज आती है और बच्चा नाक के बजाय मुंह से सांस लेता है। तेज बुखार आता है। काफी ठिठुरन और भयंकर सिर दर्द रहता है।
Management :
निमोनिया से बचाव के लिए बच्चे का रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखें, इसके लिए बच्चे को स्वास्थ्य आहार दे। भरपूर नींद लेने दे। निमोनिया वाले बच्चे को सर्दी खांसी से बचा कर रखना चाहिए। खाने में दही, केला, फल, जूस तथा अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन ना करवाकर मीट, मछली, अंडे का सेवन करवाना चाहिए। ठंड के दिनों में बच्चों को गर्म कपड़ों मे लपेट कर और ऊनी वस्त्र पहनाना चाहिए ताकि उसे ठंड ना लगे। डॉक्टर से मिलकर उचित इलाज करवाने चाहिए।
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bashisth singh