कोहरा दरअसल बहुत छोटे छोटे जलबिंदुओं का एक बहुत बड़ा समूह कहा जा सकता है। ये जल बिंदु जो की हवा में तैरते रहने के लायक हलके हैं और दृष्टि को अवरुद्ध कर सकने लायक बड़े भी। आसानी से समझाने के लिए, हम बादलों का उदाहरण देते हैं, जो की इन्ही जलनिन्दुओं से बने हुए हैं। मैदानी और शहरी इलाकों में कोहरा और भी घना हो सकता है जहां प्रदूषण के कण भी हवा में पाए जाते हैं, और जिनसे चिपक कर जलबिंदु और भी बड़े हो सकते हैं।
कोहरा एक बेहद आम प्राकृतिक स्थिति है, बल्कि इसके कई नुकसान भी देखे गए हैं। हवाई जहाज़ों के लिए 1000 मीटर से कम के दृष्टव्य को कोहरा कहा जाता है। पर ज़मीन पर 200 मीटर से कम तक के दृष्टव्य को ही कोहरा कह दिया जाता है। उन शहरों में जहां तेज़ सड़कों पर कोहरा जमा हो जाता है, वहाँ सरदिओयों के दिनों में अनेक दुर्घटनाएं देखी जाती हैं। नागरिक और सरकारें बदलते मौसमों में होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं का मिल कर सामना करते हैं।
जिस भौतिक प्रक्रिया के द्वारा हवा में गाढापन आता है, उसके आधार पर कोहरे के कई प्रकार हैं:
रेडिएशन फोग: इस तरह का कोहरा ठण्ड के दिनों में देखा जाता है। जिस स्थिति में, ज़मीन की सतह ठंडी हो रही होती है और उसके साथ उससे जुडी हवा की परत भी ठंडी होकर नमी को पकड़ने के लायक नहीं रहती, और ज़मीन के आस पास की हवा में नमी का जमना और दृष्टि का अवरुद्ध होना शुरू हो जाता है।
एडवेक्शन फोग: यानि वह कोहरा जोकी नम हवा के किसी ठंडी सतह के ऊपर से गुज़र जाने की वजह से होता है। इसका एक आसान उदाहरण समुद्र हो सकता है जहां ट्रॉपिकल नम हवाएं थोड़े ठन्डे पानी के ऊपर से गुज़रते हुए ठंडी हो जाती हैं, और ये कोहरा हवा के साथ फिर समुद्र के पास की ज़मीन पर पहुँच जाता है।
वैली फोग: वैली फोग दो पहाड़ों के बीच की तराइयों में जम जाने वाली नाम हवा को कहते हैं।
अप्सलोप फोग: इस किस्म का कोहरा तब पैदा होता हैं जब हवा के साथ नमी किसी पहाड़ की किनारे के साथ साथ ऊपर बढ़ती है और ठंडी होकर कोहरे का रूप ले लेती है
इवैपोरेशन फोग: जब हलकी गर्म हवा किसी पानी के जमाव के ऊपर से गुज़रती है तो पानी से उठे हुए वाष्प उसमे जमा होकर कोहरे को जन्म देते हैं।
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