यदि कोई पिंड या वस्तु अपने एक निश्चित (स्थिर ) अक्ष पर गोल -गोल घूमता (घूर्णन) है, तो इस स्थिति में उसकी गति को हम घूर्णन गति कहतें है |
जब कोई वस्तु घूर्णन गति पर होती है तो उसमे स्थानांतरण नहीं होता है |
इसे और अच्छे से समझने के लिए कुछ उदाहरण लेते है जो आपके आस पास ही मौजूद है –
१. आपके छत में लगे पंखे –
आप अपने छत में लगे पंखे को रोज देखतें होंगे | अगर आप इसमें गौर करें तो पाएंगे की यह अपनी स्थित बिना बदले ही एक स्थान पर गोल- गोल घूमता रहता है | अगर आप इसके बीच में एक काल्पनिक रेखा खींचे, जो की उसका अक्ष होगी तो समझ आता है की यह उसी अक्ष के सापेक्ष चक्कर लगा रहा है |
२. चक्की में लगे पाटों की गति –
क्या कभी आपने चलती हुई चक्की देखी है ? यदि हाँ तो आपको लगा होगा की चलती हुई चक्की के पाटे गोल – गोल घुमते है |
तो आपने बिलकुल सही देखा है, ये पाटे गोल-गोल घूमते है वो भी अपने अक्ष के चारों तरफ | अतः अगर चक्की के पाटों के बीच से एक काल्पनिक रेखा खेंची जाये, तो आपको प्रतीत होगा की चक्की के पाटे उस काल्पनिक रेखा के चक्कर काट रहें है |
३. घडी की सुई की गति –
आप सब ने घडी तो देखी होगी, यहं तक की हरकोई हाँथ में घडी पहनता है | जब आप इसे ध्यान से देखेंगे तो पता पड़ेगा कि इसमें मौजूद सुइयां अपने अक्ष को छोड़े बिना एक ही स्थान पर चक्कर काटती रहतीं है| और यदि आप इसके मध्य से एक काल्प्निक रेखा खीचंगे तो देखंगे की यह उस रेखा के सापेक्ष चक्कर लगा रहीं है |
तो इसमें वृत्तीय गति भी हो सकती है