ठोस– इसकी निश्चित आकृति होती है। यह घनत्व व आयतन की भी निश्चितता लिए हुए होता है। यह एक पूर्ण द्रव्य (पदार्थ) है, क्योंकि इसमें सभी गुणधर्म होते हैं। ठोस पदार्थ बहुत सारे अणुओं से मिलकर बनते हैं। अणु एक-दूसरे ...

रासायनिक तौर पर द्रव्यों को तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो हैं- तत्व, यौगिक, मिश्रण। तत्त्व तत्व वे पदार्थ या द्रव्य होते हैं, जिनमे पाये जाने वाले अणुओं में परमाणुओं की प्रकृति एक समान होती है। फ़्रांस ...

आयतन की निश्चितता- सभी पदार्थ कोई न कोई जगह अवश्य ही लेते है। उस जगह का माप ही आयतन कहलाता है। यह समझना सरल ही है कि कोई भी द्रव एक निश्चित स्थान घेरता ही है। इसीलिए इसमें निश्चित आयतन ...

यौन क्रिया से संचारित होने वाले रोग अर्थात दो व्यक्तियों के मध्य लैंगिक सम्बन्ध बनने से यदि कोई रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है, तो ऐसे रोग को यौन संचारित रोग कहा जाता है। ...

नर व मादा युग्मक मिलकर युग्मनजों का निर्माण करते हैं। युग्मनज समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर विकास करते हुए एक संरचना का रूप लेते हैं, इस संरचना को ही भ्रूण कहते हैं। गर्भ धारण करने के लगभग 2 महीने या ...

प्रजनन एक क्रिया है और इस क्रिया का परिणाम है हम अर्थात् मनुष्य का जन्म। साधारण रूप में यौन सम्बन्ध बनाना व सन्तान को जन्म देना ही प्रजनन है। यौन क्रिया के दौरान आवश्यक साधनों का प्रयोग करना; जो गर्भ ...

प्रजनन तन्त्र के अन्तर्गत शरीर के वे अँग आते हैं, जिनसे नया जीवन अस्तित्व में आता है। शुक्राशय, शिश्न, मूत्राशय, मूत्रनलिका, प्रोस्टेट ग्रन्थि आदि पुरुष प्रजनन तन्त्र में होते हैं तथा अण्डाशय, योनिमार्ग, गर्भाशय, डिम्बग्रन्थि आदि स्त्रिओं के प्रजनन तन्त्र ...

पारिस्थितिकी या इकोलॉजी से अर्थ हमारे चारों तरफ उपस्थित जीवों, प्राणियों, पौधे, एवं सूक्ष्म जीवों से है, जो पर्यावरण एवं वातावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है| ये सभी जीव-जन्तु एवं पादप मिलकर जैविक इकाई के रूप में कार्य करते है ...

जल, वायु, वनस्पति, जीव-जन्तु, मिट्टी आदि मनुष्य के चारों ओर परिलक्षित है, इन्हीं से हम घिरे हुए हैं, यही पर्यावरण है। हमारे आस-पास की परिस्थितियां, प्रभाव व वस्तुस्थितियां ही पर्यावरण है। हमारा वातावरण ही पर्यावरण है। वातावरण में पाये जाने ...

जैव प्रौद्योगीकी या बायोटेक्नोलॉजी, विज्ञानं के विस्तृत क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है| पिछले कई वर्षों में जैव प्रौद्योगीकी ने विकास के चरम शीर्षों को छुआ है तथा इसका मुख्य उदेश्य मानव जाति को सब तरफ से लाभ पहुचाना एवं ...