आधुनिक समय में प्रत्येक स्थल में साज-सजावट का महत्व बहुत अधिक हो गया है| नकली प्लास्टिक के पेड़ों, बेलों, फूलों के स्थान पर असली का प्रचलन चल रहा है|
लोगों का मानना है कि प्रकृति से खूबसूरत ओर क्या हो सकता है, प्राकृतिक पेड़-पौधे दिखने में सुन्दर होने के साथ-साथ वातावरण को भी शुद्ध व सकारात्मक बना देते हैं|
आज के समय में साज-सज्जा करने के लिए पौधों के बहुत सी प्रजातियाँ उपलब्ध है| आज के इस लेख में हम आपको नाम सहित कुछ सजावटी पौधों के बारे में बतायेंगे|
कोशिया- यह एक घास वाला पौधा है| यह बड़ा होते-होते एक फैली हुई झाड़ी का रूप लेकर अत्यंत सुंदर आकार ले लेता है| इसको लगाने के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है|
नीम्बू घास- इसे “मालाबार” या “कोचीन घास” भी कहते है| पतली, लम्बी पत्तियों वाला यह पौधा हराभरा होता है और इसकी गंध भी तेज होती है| भारत के तापमान के अनुसार यह उचित रूप से पनपता है| कहीं-कहीं जड़ी-बूटी के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है|
एग्लोनेमा- एशियाई इलाकों में इस पौधे से सजावट करने का प्रचलन काफी समय से चला आ रहा है| इसकी बड़ी-बड़ी चौड़ी पत्तियां दो रंगो की होती हैं| गहरे हरे रंग के साथ कोई हल्का पीलापन या गुलाबी रंग लिए हिये होती हैं, तो कई सिल्वर रंग वाली होती हैं|
ब्राह्मी- यह पूरे साल चलाने वाला पौधा है, जो हर मौसम में अनुकूल बना रहता है| इसका इस्तेमाल कुछ दवाइयों में भी किया जाता है तथा त्वचा व बालों की देखभाल हेतु भी इसका काफी महत्व होता है|
पाम- पाम की बहुत सारी प्रजातियाँ आती हैं, जिनमे कुछ छोटे पौधों के रूप में होती हैं और कुछ बड़े पेड़ों वाली होती हैं| दिखने में काफी आकर्षक लगते हैं| इसमें कुछ प्रजातियाँ महंगी होती हैं| बड़े घरों व होटलों आदि में सजावट के लिए पाम का बहुतायत से प्रयोग होता है|
डैफेनबकिया- यह काफी बड़ी व चौड़ी गहरी हरी रंगत की पत्तियों वाला पौधा है, जो हल्का पीलापन लिए हुए होते हैं और इस पर हल्के रंग के धब्बे भी दिखाई पड़ते हैं| इसमें एक खतरनाक विशेषता ये है कि इसमें पाए जाने वाले जहरीले प्रभाव से इंसान बोलने की क्षमता तक खो सकता है| अतः इसे “डम्ब केन” और “मदर इन लॉ टंग” के नाम भी जाना जाता है|
कैलेडियम- गुलाबी, हरी, सफ़ेद रंग के कई शेड की इसकी पत्तियों अत्यंत ख़ूबसूरत होती हैं| कमल की पत्तियों के समान ही कैलेडियम की पत्तियां होती हैं| यह मार्च के महीने में उगना आरम्भ होती हैं और नवम्बर के महीने में सूखने लगती हैं|
केवाच(किवांच)- अंडाकार पत्तियों वाले इस पौधे के बड़े होने पर यह एक बेल का रूप ले लेता है, जिसपर बैंगनी रंग के फूल भी उगते हैं| इसे “कौंच” और “कपिकच्छु” के नाम से भी जाना जाता है|
एमेरान्थस्- इसे चौलाई कहते हैं, जिसपर बैंगनी व गहरे लाल रंगत वाले फूल होते हैं| खाने में भी इसका उपयोग किया जाता है| इसकी बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं|
सुदर्शन- इस पौधे पर गोल व सफ़ेद फूल उगते हैं, जो दिखने में सुदर्शन चक्र के समान लगते हैं, इसीलिए इस पौधे को सुदर्शन कहा जाता है|
हेलिकोनिया- ये अधिकतम 4-5 मीटर तक लम्बे हो सकते हैं| इसकी पत्तियां लम्बी व पतली होती हैं और फूल गुलाबी, संतरी, लाल, पीली व हरी रंगत वाले होते हैं|
सेलोसिया- इसे “मुर्गकेश” भी कहते हैं| यह काफी रंग-बिरंगे और अत्यंत आकर्षक होते हैं|
इन सबके अतिरिक्त ओर भी सजावट योग्य कुछ जाने-पहचाने पौधे हैं, जिनके नाम आपने सुने ही होंगे| जैसे- गुलतुर्रा, क्रोटन, फ़र्न, तुलसी, मनी प्लांट, मुसंडा, कैक्टस, श्रिम्प, लिली, रात की रानी, गुलाब, केलेंडूला (गेंदा), कोर्न फ्लावर, एलिमुंडा, स्नाय, बेला, नवरंग (गेलार्डिया), नेस्टाश्यम, कंटीली चंपा, कॉसमॉस (कासमिया), गुलदौदी, जीनिया, गुडहल, सूरजमुखी, एलिसम, लेडी लक्स, रात की रानी, डहेलिया, इंग्लिश आइवी, पाइन प्लांट, ज़रेनियम आदि|
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