एस्बेस्टस एक ऐसा पदार्थ है जों हमारे दैनिक जीवन के एक हिस्से के रूप में हमारे चारों ओर स्थित है, चाहे वह घर की छत हो या फिर छतों पर चढ़ाई जाने वाली चादर। यह एक ऐसा पदार्थ होता है जो आग को नहीं पकड़ता अर्थात यह पूरी तरह से अज्वलनशील होता है। जिसके चलते इसका उपयोग ज्यादा से ज्यादा किया जाता है, ताकि घरों और इमारतों में आग लगने का खतरा कम से कम हो। यह अघुलनशील होता है लेकिन यह सीमेंट में आसानी से मिलाया जा सकता है।
अगर बात करे एस्बेस्टस की उत्पत्ति की तो यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाला सिलिकेट का एक प्रकार है। जो की चट्टानों से प्राप्त होता है। एस्बेस्टस की खदानें भी होती है, जो जमीन की मिटटी की सतह के नीचे मिलती है। इसे विस्फोटक और हथौड़ों से फोड़कर निकाला जाता है। लेकिन इसे निकालते समय पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता क्योकि अज्वलनशील होने के साथ-साथ एस्बेस्टस अघुलनशील भी होता है। यह पानी में मिलकर लचीला हो जाता है।
अपने अज्वलनशील गुण के चलते एस्बेस्टस से अग्निरोधक वस्त्र, भवनों की छत, पानी के पाइप और छतों पर चढ़ाई जाने वाली चादरों जैसी कई वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। लेकिन जहां एस्बेस्टस अपने आप में इतने सारे विचित्र गुण लिए है वहीं वैज्ञानिक इसे मृत्युदाता भी मानते है।
वैज्ञानिक शोध के अनुसार इसके चलते सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों के कैंसर जैसी समस्याए हो रही है। दरअसल इससे निकलने वाले रेशे अतिसूक्ष्म होते है और अघुलनशील होने के चलते फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बनते है। वहीं डॉक्टरों का मानना है कि अगर इसके इस्तेमाल को नहीं रोका गया तो यह आने वाले दशकों में कई लाख लोगों की मृत्यु का कारण भी बन जाएगा।
जिसके चलते यह दुनिया भर के करीब 50 देशों में प्रतिबंधित है। बावजूद इसके इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके पीछे का कारण है इसका काफी ज्यादा सस्ता होना है। वहीं अगर भारत की बात कि जाए तो भारत में तो यह मिलता ही है किन्तु जिन देशों में यह प्रतिबंधित है वे भी भारत में इसका निर्यात करते है।
एस्बेस्टस के विचित्र और हानिकारक गुण को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जिस तरह हम अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एस्बेस्टस जैसे प्राकृतिक संसाधन का उपयोग अपने हिसाब से कर रह है। कही एक दिन यही प्राकृतिक संसाधन हमारे विनाश का कारण न बन जाए।
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