ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है भूमण्डलीय ऊष्मीकरण। साधारण तौर पर पृथ्वी पर तापमान की निरन्तर होती वृद्धि को ही ग्लोबल वॉर्मिंग कहते हैं।
पृथ्वी पर ताप प्राप्ति का मुख्य स्त्रोत सूर्य है। सूर्य से आने वाली सौर किरणों पर ही पृथ्वी का तापमान कायम है। ये किरणें कई मण्डलों से गुजरती हुई पृथ्वी के तल तक पहुंचती है और वहीं से टकराकर परावर्तन के कारण वापिस चली जाती है।
चूँकि यह तो सर्वविदित ही है कि पृथ्वी पर जलवायु व तापमान की विविधता पायी जाती है। एक ही समय में प्रत्येक क्षेत्र की जलवायु एक समान नही रहती है।
परन्तु बीते कुछ वर्षों में जलवायु व तापमान में असामान्य रूप से परिवर्तन नजर आये हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के तापमान में तुलनात्मक रूप से निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा गया है कि सूर्य की स्थिति परिवर्तित होकर यह धीरे-धीरे पृथ्वी के नजदीक आता जा रहा है, जिससे तापमान में वृद्धि हो रही है। इस तरह बहुत सी बाते सामने आयी हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण क्या हैं?
ग्लोबल वार्मिंग होने का मुख्य निम्न आधार है-
ग्रीन हाउस गैस- ग्रीन हाउस गैस तापमान में नियन्त्रण बनाये रखती है जिसके अंतर्गत कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, आदि गैस शामिल है किन्तु वर्तमान समय में इन गैसेस में वृद्धि होने के कारण तापमान तेजी से बढने लगा है एवं जलवायु में भी तीव्रता से परिवर्तन आया है|कुछ आंकड़ो के अनुसार पिछले कुछ 15 से 20 वर्षो में Co2 का वातावरण में उत्सर्जन 40 से 50% तक बढ़ गया है इसलिए ग्लेशियर तेजी से पिघलते जा रहे है एवं मौसम में बदलाव आया है|
प्रदूषण- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, विकिरण प्रदूषण आदि से भी पृथ्वी पर तापमान बढ़ता है। वातावरण प्रदूषण से वर्षा में कमी आती है तथा जहरीली गैसें तापमान का सन्तुलन बिगाड़ती हैं। ताप वृद्धि से ग्लेशियर पिछलने के कारण जलवायु में गड़बड़ पैदा होती है।
पेड़ों का कटाव-
पेड़ों के कटाव से ऑक्सीजन में कमी आती है और कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ती है, जो कि ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि का कारण बनता है। वर्षा में कमी का कारण भी पेड़ों की कटाई है। हरियाली न होने के कारण वायु अशुद्ध व गर्म हो जाती है। ये सब तापमान में बढ़ोतरी करते हैं।
तकनीकीकरण- मशीनों का विकास, कारखाने, वाहन आदि के प्रयोग से वातावरण में अशुद्धता आती है। इसी के साथ एयरकंडीशनर, फ्रीज,कोल्ड स्टोर आदि से निकलने वाली गैसें अत्यधिक हानिकारक होने के साथ-साथ ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करती है तथा तापमान में वृद्धि का कारण बनती हैं।
जनसंख्या वृद्धि- जनसंख्या वृद्धि से अनगिनत समस्याएं पैदा होती हैं। जैसे-जैसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे शहरीकरण बढ़ रहा है, जिससे पेड़ों की कटाई की जा रही है। वाहनों, मशीनों, एयरकंडीशनर, फ्रीज आदि सब का प्रयोग बढ़ रहा है और प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
उपर्युक्त सभी कारणों से ग्लोबल वार्मिंग की दर बढ़ती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उपाय-
ग्लोबल वार्मिंग के कारणों पर गौर करके इस पर नियंत्रण करने के लिए कुछ उपाय किये जा सकते हैं।
ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को बढ़ाने वाले साधनों के प्रयोग पर नियंत्रण किया जाना चाहिए। एयरकंडीशनर, फ्रीज़ आदि के उपयोग में कमी आने से दूषित गैसों की मात्रा में भी कमी आएगी।
पेड़ों को काटा नही जाना चाहिए, क्योंकि पेड़ों के कटने के ग्लोबल वार्मिंग के अतिरिक्त अन्य कई खतरे पैदा होते हैं। जनसंख्या नियंत्रण के उचित प्रयास कर कई सुधार हो सकते हैं।
अन्ततः जब तक प्रत्येक व्यक्ति को ग्लोबल वार्मिंग के खतरों का ज्ञान न हो तब तक सभी प्रयास नाकामयाब रहेंगे। अतः आम जनता को ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत करवाया जाना चाहिए। इस हेतु स्कूलों में विद्यार्थियों को इसका ज्ञान दिया जाना चाहिए तथा जन चेतना कार्यक्रम के तहत सामान्य लोगों तक ज्ञान पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति अपनी इच्छा से इस खतरे को कम करने के लिए प्रयासरत रहें|
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