हमारे चारों ओर जहाँ तक वायु (गैसों) का अस्तित्व बना रहता है, वह वायुमण्डल कहलाता है।
इसमें तरह-तरह की गैसें पायी जाती है। गैसों की भिन्नता के कारण इनकी भूमिका में भी भिन्नता पायी जाती है। हर एक गैस अपना अलग योगदान प्रदान करती है। वायुमण्डल में लगभग 11 प्रकार की गैसें मौजूद रहती है। इनमे से कुछ गैसें सक्रिय रूप से निश्चित मात्रा में पायी जाती है, जिनमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन व कार्बनडाई ऑक्साइड को शामिल किया गया है। इनके अतिरिक्त विद्यमान सभी गैसें असक्रिय रूप से वायुमण्डल में मौजूद रहती हैं।
नाइट्रोजन- वायुमण्डल में 78.09% की निश्चित व सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन पायी जाती है।
ऑक्सीजन- ऑक्सीजन गैस नाइट्रोजन से काफी कम मात्रा में वायुमण्डल में उपस्थित होती है। यह 20.95% मात्रा में पायी जाती है। यह प्राणवायु है अर्थात् श्वास लेने में सहयोगी है।
कार्बनडाई ऑक्साइड- यह गैस वायुमण्डल में 0.03% तक की निश्चित मात्रा में होती है। यह ग्रीन हाऊस एफेक्ट (हरित गृह प्रभाव) की मुख्य कारक गैस है।
उपर्युक्त सक्रिय गैसों के अलावा असक्रिय रूप में ऑर्गन गैस वायुमण्डल में 0.93% तक की मात्रा में पायी जाती है। यह सक्रिय गैस नही है और अक्रिय गैस के रूप में यह सबसे अधिक मात्रा में पायी जाने वाली गैस है।
निऑन लगभग 0.0018% तक, हाइड्रोजन गैस 0.001% मात्रा में, हीलियम 0.000524% तक, क्रिप्टन वायुमण्डल में 0.0001% मात्रा में, जेनॉन गैस वायुमण्डल में 0.000008% मात्रा में तथा ओज़ोन गैस वायुमण्डल में 0.000001% तक पायी जाती है, जो कि तापमान में वृद्धि करने में सहायक होती है और मेथेन गैस अत्यन्त अल्प मात्रा में वायुमण्डल में पायी जाती है।
इन गैसों के अलावा वायुमण्डल में 5% जलवाष्प भी पायी जाती है। मानो तो वाष्प भी गैस का ही एक रूप है। जलवाष्प वायुमण्डल में पाया जाने वाला स्थायी तत्व है। समुन्द्र, जल स्त्रोत व वनस्पतियों आदि से वायुमण्डल में जलवाष्प की पूर्ति होती है। वायुमण्डल में जलवाष्प की मौजूदगी अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि ओलावृष्टि, ओंस, पाला, बरसात, बादल बनना आदि प्राकृतिक क्रियाओं के संचालन में पूर्ण सहयोग जलवाष्प का ही होता है|
Barsa kab hoti hai
basant ritu me .. jab baldal thande hone lagte hain