मनुष्य की काया की ऊर्जा के आधार तीन हैं- वात, पित्त, कफ। मनुष्य के खान-पान व रहन-सहन पर इनका स्वरुप आधारित होता है।
प्रोटीन– मानव शरीर में कुल 20 तरह के प्रोटीन का पाया जाना जरूरी होता है, जिसमें से 10 तरह के प्रोटीन भोजन से प्राप्त किये जा सकते हैं तथा शेष 10 तरह के शरीर द्वारा स्वयं संश्लेषित किये जाते हैं। शारीरिक वृद्धि व बल, मांसपेशियों की मजबूती और जीवाश्म व कोशिका निर्माण के लिए प्रोटीन आवश्यक है।
न्यूक्लिक अम्ल– यह अम्ल द्विरूपी होता है। जिन्हें DNA व RNA कहा जाता है। शरीर में पाये जाने वाले गुण (आनुवांशिक गुण)जो मनुष्य को उनके माता-पिता या पूर्वजों से मिलते हैं, उन गुणों का पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण करना ही इनका मुख्य कार्य है।
जल– मानव शरीर में लगभग 65-70% तक जल पाया जाता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का कार्य करता है। जल सेवन कर शरीर में पाये जाने वाले विषैले पदार्थों व अनुपयोगी तत्वों को पसीने द्वारा बाहर निकाला जाता है तथा इससे आंतरिक रूप से स्वच्छता बनी रहती है।
खनिज लवण– मनुष्य भोजन के माध्यम से खनिज तत्वों की पूर्ति करता है। शुद्ध व अच्छे भोजन को ग्रहण कर कैल्शियम, सोडियम, आयोडीन की कमी को पूरा करके रोगोँ से बचाव कर सकता है।
वसा– यह शारीरिक विकास में सहायक है तथा त्वचा में चमक बनी रहती है। यह वजन व रक्तचाप का संतुलन बनाने का भी कार्य करती है। वसा की कमी या अधिकता से क्रमशः वजन भी कम या ज्यादा होता है और रक्त के बहाव पर भी प्रभाव पड़ता है।
विटामिन्स– मानव शरीर में A, B, C, D, E, K ये छः प्रकार के विटामिन आवश्यक होते है। आँखों की रोशनी, प्रजनन क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य, मजबूत हड्डियों व दांतो, हार्मोन का सही संतुलन, रक्त की आवश्यक मात्रा, त्वचा व बालोँ की चमक व मजबूती आदि के लिये शरीर में पर्याप्त विटामिन होने चाहिये।
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Very nice thanks…