आप सबने नल से टपकते पानी को देखा होगा, और पाया होगा की पानी की बूंदे गोल होती है | क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है ? की जब बारिश होती है या फव्वारों की बूंदे ये हमेशा गोल होती है | आखिर यह गोल ही क्यों होती है ? वैसे तो आप जानतें है की पानी को जिस भी पात्र में डालो वह वही रूप ले लेता है | आप कहंगे की यह द्रव है इसलिए, और द्रव को जिस पात्र में डालो उसी का रूप ले लेते है | जैसे – यदि, पानी को एक गिलास में लेतें है तो वह उस गिलास का रूप ले लेता है, बिलकुल एक जादूगर जैसे जो रूप बदलने में माहिर हो |
फिर ये क्यों होता है की जब यह किसी भी बर्तन में न होकर स्वतंत्र रूप से आसमान से या कहीं ऊपर से नीचे गिरता है तो पानी की बूंदे गोल होती है ? आखिर गोल ही क्यों ?
इस बात का जबाव है पृष्ठीय तनाव, जब पानी धरती की ओर जैसे –जैसे जाता है वह गोल आकर लेने लगता है, इअसके अलावा पानी के जो अणु होते है वह एक दुसरे को अन्दर की ओर खींचतें है तो यह टूटता नही बल्कि गोल आकर लेने लगता है |
Hame sahi jawab nhi mila
Ye hi sahi jawab hai bodom