सम्पूर्ण जन्तु-जगत एवं पादप जगत को वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर दो भागों में विभजित किया गया है :-
- स्वपोषी
- परपोषी
हम यहाँ परपोषी जीवों के बारे में अध्ययन करेगे, आइये इस विषय पर एक नजर डालते है:-
परपोषी जीव:
परपोषी जीव वे होते है, जो अपने भरण-पोषण के लिए दूसरे जीवो पर निर्भर होते है। ऐसे जीव, जो स्वयं अपना भोजन निर्मित नहीं कर सकते, और अन्य पौधों या जीवों पर आश्रित होते है। इसी तरह भोजन करने की परपोषी जीवो की क्रिया को “परपोषी-क्रिया” या प्रणाली कहा जाता है।
परपोषी जीवों के अंतर्गत कुत्ता, बिल्ली, शेर, कीट, हिरन एवं यहाँ तक की मनुष्य भी परपोषी श्रेणी के अंतर्गत आते है, क्योकि उन्हें भी अपना भोजन प्राप्त करने के लिए दूसरो पर आश्रित रहना पड़ता है। परपोषी जगत को भी आगे तीन भागो में विभाजित किया गया है:-
- मृतोपजीवी:
जो जीव-जन्तु या पौधे अपना भोजन प्राप्त करने के लिए एवम अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए मृत या सड़े हुए जैविक पदार्थो पर निर्भर होते है, उन्हें मृतोपजीवी कहा जाता है। जैसे, कवक, बैक्टीरिया आदि।
- परजीवी:
जो जीव या पौधे, जीवित रहने के लिए दूसरे जीवों के शरीर को अपना निवास बनाकर उनसे अपना भोजन प्राप्त करते है, उन्हें परजीवी कहा जाता है। ये अपने पोषी को काफी हद तक नुकसान पहुचा सकते है।
- पूर्णभोजी:
पूर्णभोजी के अंतर्गत वह प्राणी आते है, जो अपना भोजन पौधे या जन्तु के रूप अर्थात ठोस के रूप में लेते है, और बाद में अपशिष्ट पदार्थ के रूप में उसे बाहर निकल देते है।
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Purnbhoji ka udaharan?