शरीर अरबो-खरबों कोशिकाओं का समहू है, और किसी भी अन्य जीव की उत्पति के लिए इन कोशिकाओं से गूणसूत्रों को लिया जाता है, जिसे निषेचन कहा जाता है। प्रजनन के समय जो कोशिकाए जीव उत्पति में अहम् भूमिका अदा करती है, उन्हें जननीय कोशिकाए कहा जाता है।
किसी भी प्राणी का अपने जनक से कोशिकाए लेकर अपने जैसा प्रतिरूप उत्पन्न करने की प्रक्रिया को क्लोनिंग कहा जाता है। क्लोन एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ किसी पौधे से नयी शाखा उत्पन्न करना है।
क्लोनिंग की प्रक्रिया:
परम्परागत रूप से भ्रूण क्लोनिंग एक प्रचलित तरीका है, जिसे ट्विनिंग भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत जनको से कोशिकाए निकालकर, उन्हें निष्क्रिय किया जाता है, और डिम्ब में प्रविष्ट करवाया जाता है।
अभी तक क्लोनिंग के अधिकतम प्रयोग जानवरों पर किये गए है, मानवो पर इसका परीक्षण अभी शेष है। परन्तु एसा विचार है, कि मानव क्लोनिंग का परिणाम भी जल्द आयेगा, इसपर अभी काफी शोध जारी है।
क्लोनिंग के लाभ:
- क्लोनिंग की सफलता के पश्चात् दुर्लभ रोगों का इलाज सम्भव हो सकता है, जैसे कि कैंसर, एच. आई. वी आदि।
- क्लोनिंग के द्वारा शरीर के नष्ट हो चुके अंगो को फिर से उगाया जा सकना सम्भव हो सकेगा, जो कि विज्ञानं के अंतर्गत एक नयी क्रांति होगी।
- किसी भी प्राणी के विकृत एवं बीमार अंगो को नवजीवन प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी।
- जीव-जन्तुओ की जो प्रजातिया लुप्त होने के कगार पर खड़ी है, उनके क्लोन बनाकर उनकी संख्या बढ़ाने में भी काफी हद तक मदद मिलेगी।
विस्व का प्रथम clone कहाँ ओर किसने बनाया !
किन्ही 3 cloning जन्तू का परिचय बताये !
Ans.
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