बिजली के चमकने के साथ ही हम एक बहुत ही तेज़ आवाज़ को भी सुनते हैं, जो कभी तीखी और कभी गहरी होने के साथ, हर बार बहुत तेज़ और शानदार भी होती है। बिजली का चमकना एक अद्भुत प्राकृतिक वैज्ञानिक घटना है। ये बहुत बड़े स्तर पर हुए आकस्मिक एलेक्टरोस्टैटिक डिस्चार्ज के कारण होती है। ये डिस्चार्ज बादलों में मौजूद, और अलग आवेशों से आवेशित अनगिनत जल कणों के बीच अकस्मात और बहुत तेज़ी से होता है। बिजली की तेज़ रोशनि के ठीक बाद ही हम जो ज़ोरदार आवाज़ सुनते हैं उसे ही गर्जन कहा जाता है।
इसकी कई वजहें होती हैं। दो विलोम आवेशों से आवेशित कणों बीच हुआ निर्वहन या इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्चार्ज बिजली के चमकने का मुख्य कारण है। ये बिजली की चिंगारी जो की कई हज़ार मेगावाट की ऊर्जा अपने अंदर समेटे हुए रहती है, एक बहुत बड़े स्तर पर हवा के कणों को प्रभावित करती है।
बिजली चमकने के साथ ही, बिजली के आवेश, और चुम्बकीय प्रभावों के कारण अनगिनत जल और हवा के कण एक दुसरे से टकरा जाते हैं।और ये सारी ध्वनियाँ एकसाथ मिल कर बादलों की गर्जना का रूप ले लेती हैं। दूसरी तरफ बिजली के बहुत गर्म होने के कारण भी उसके आस पास की हवा तेज़ी से गरम होकर धमाके जैसी आवाज़ के साथ फैलती है।
यदि बिजली हमारे कानो के आस पास कड़कती है तो हमे एक तेज़ टकराहट की सी आवाज़ सुनाई देती है, पर यही बिजली कहीं दूर चमके तो हमे बादलों की तेज़ और गहरी गर्जना सुनाई देती है। इसके पीछे भी कुछ बहुत साधारण वैज्ञानिक कारण हैं। दूर हुई आवाज कई चीज़ों से टकराती हुई हम तक पहुँचती है और हम उस समय एक नहीं बल्कि एक ही आवाज़ की, कई अलग अलग कोणों से आयी प्रतिध्वनि या एको सुन रहे होते हैं। और नज़दीक आते ही यही आवाज़ ज़्यादा ज़्यादा ऊंची और तीखी हो जाती है।
बादलों की गर्जना बिजली के चमकने के काफी देर के बाद भी सुनाई दे सकती है। इसका मुख्य कारण रौशनी और ध्वनि की गतियों के बीच का अंतर है। रोशनि ध्वनि से कहीं ज़्यादा तेज़ होने के कारन अपनी उत्पत्ति के स्थान से बहुत दूर दूर तक दिखाई दे जाती है। उस से जुडी ध्वनि हालाँकि हम तक पहुँचती ज़रूर है, पर कुछ मिनटों के अंतर के बाद, क्यूंकि सीधे शब्दों में उसे इतनी लम्बी यात्रा करने में रौशनी से कहीं ज़्यादा समय लगा होता है।
badal ki garjna ki awaj pahle teji or dhire _2 kam hone lagti h but garjna band nahi hoti h ishka kya h kard kya h riplay