हमारी पृथ्वी सौर्यमंडल के परिवार की एक सदस्य है, और सौर्यमंडल के इस परिवार का राजा सूर्य हैं जो न केवल अन्य सभी ग्रहों और उपग्रहों का ऊर्जा स्रोत है, बल्कि अन्य ग्रहों पर प्रकाश के होने की वजह भी हैं। लेकिन जहां सूर्य से जुड़े कई रहस्य आज तक वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बने हुए हैं, वहीं सूर्य से जुड़ा एक सबसे बड़ा रहस्य आज भी हमारे मस्तिष्क में कई सवाल उत्पन्न करता हैं। यह सवाल है कि आखिर सूर्य का रंग लाल क्यों दिखाई देता हैं।
आपको बता दे कि इससे जुड़ा जो वैज्ञानिक कारण हैं वह आप पहले भी किसी न किसी अन्य शोध में पढ़ चुके होंगे। दरअसल सूर्य के लाल दिखाई देने में भी सात रंगों से जुड़ा हुआ नियम लागू होता हैं। सूर्य में भी इन्द्रधनुष की तरह 7 रंग- लाल, नीला, हरा, पीला, जIमुनी, बैगनी और नारंगी होते हैं। जब सूर्योदय और सूर्यास्त होता है तो सूर्य क्षितिज के ज्यादा पास रहता हैं, जिसके चलते सूर्य की किरणों को वायुमंडल के एक बड़े लम्बे क्षेत्र को पार करने की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में जब किरणें इस प्रक्रिया से गुजरती है तो उसके अंदर स्थित रंग बिखर जाते हैं। इस लंबी प्रक्रिया में एकमात्र रंग लाल ही ऐसा होता है जो वायुमंडल के लम्बे रास्ते को पार कर हमारी आंखों पर पड़ता है। इसी के चलते हमें सूर्य का रंग लाल दिखाई देता हैं।
अब आप सोच रहे होंगे की आखिर सूर्य की किरणों में स्थित सभी रंगों में से केवल लाल ही रंग क्यों वायुमंडल की लंबी दूरी को पार कर पाता है और हमारी आंखों तक पहुँचता हैं। तो आपको बता दे कि इसके पीछे का कारण अन्य रंगों की तुलना में लाल रंग का कम प्रकीर्णन होना हैं।
यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे आसमान और समुद्र का रंग हमारी आंखों को नीला दिखाई देता हैं। जिस तरह से सूर्य के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय लाल दिखाई देने में लाल रंग का कम प्रकीर्णन होता है, ठीक उसी तरह नील रंग के कम प्रकीर्णन के कारण समुद्र और आसमान का रंग हमें नीला दिखता हैं।
सौर्यमंडल में वैसे तो सूर्य से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठना अभी भी शेष है, लेकिन सूर्य के लाल रंग से जुड़ी यह प्रक्रिया आपको इस बात का विश्वास भी दिलाती है कि आने वाले समय में सूर्य से जुड़े कई रहस्य आपके समक्ष पूरी तरह उजागर हो जाएंगे।
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