पर्यावरण में मौजूद शुद्ध वायु में जब किसी तरह का बेकार अवांछनीय पदार्थ मिलकर उसे भी अशुद्ध कर देता है जिस वायु को स्वसन के रूप में इस्तेमाल करके मनुष्य तथा अन्य जीव स्वसन संबंधित अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं आयु में होने वाली ऐसी परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। इस पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए हर प्राणी को वायु आवश्यक है अर्थात् वायु ही हमारे जीवन का आधार है। वायु धरातल पर रहने वाले समस्त जीव जंतु पेड़ पौधे एवं मानव जीवन के लिए अति आवश्यक है। प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और जीव जंतुओं की संख्या में भारी कमी ने वातावरण में असंतुलन पैदा कर दिया है यह मानव शरीर में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्या विकसित कर रहे हैं।
वायु प्रदूषण का सबसे मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। जनसंख्या बढ़ने से निवास बढ़ रहा हैं। जिससे पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। बढ़ती आबादी को रोजगार देने के लिए नए-नए कल कारखानों एवं उद्योगों का विकास हो रहा है जिससे निकलने वाली काली खतरनाक धुआं से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इस बढ़ती आबादी के कारण ही संचार के विभिन्न साधनों में बहुत अधिक वृद्धि हो रही है इन साधनों में हो रही वृद्धि से इंजन, बस, वायुयान, स्कूटर आदि की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। मरे हुए जीव जंतुओं को खुले मैदानों में फेंक देना आतिशबाजी को बढ़ावा देना तथा बम विस्फोट करना। यह सभी वायु प्रदूषण का कारण है।
इससे बचने का निम्नलिखित उपाय है।
मरे हुए जीव जंतुओं को खुले मैदानों में फेंकने के बजाय उसे मिट्टी में दफन कर देना चाहिए। आतिशबाजी की परंपरा को समाप्त कर देना चाहिए। बार-बार असफल मिसाइल परीक्षण नहीं करना चाहिए। पेड़ पौधों की कटाई पर शक्ति के साथ रोक लगाना चाहिए और वृक्षारोपण कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए। वायु प्रदूषण से होने वाले रोग निम्नलिखित है। – अस्थमा, कफ, टीवी, निमोनिया इत्यादि।
वायु देती हमें जीवनदान।
आओ मिलकर करें इसका सम्मान ।।
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