जब खेत की मिट्टी मे कोइ बेकार अवांछनीय पदार्थ अनुचित ढंग से डाल देता है तब उस मिट्टी की गुणवत्ता में हास्य होता है और उर्वराशक्ति लगातार घटती है जिससे फसलों के उत्पादन दर मे काफी कमी आता हैं मिट्टी में होने वाली इस परिवर्तन को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।खनिजों के उत्खनन से निकलने वाले मलवे मृदा की उर्वरा शक्ति को समाप्त कर देते हैं वर्षा के समय जल के साथ मिलकर यह मलबे दूर दूर तक जाकर मृदा को प्रदूषित करते हैं।
कल कारखानों से निकलने वाली रसायनिक या कोई कचरे को किसी स्थान पर डाल दिया जाता है जिसके कारण वहां का मिट्टी का उपजाऊ शक्ति खत्म हो जाती है भूमि बंजर हो जाता है और कोई पेड़- पौधा वहां नहीं उगता है। किसानों द्वारा फसलों की कटाई के बाद बच्चे अपशिष्ट जैसे- डंठल, पत्तियों, घास- फूस, बीज आदि को जला दिया जाता है जिससे मृदा प्रदूषित तो होती ही है साथ में आग के वजह से मिट्टी में मौजूद केंचुए, जो किसानों के मित्र कहलाते हैं वह भी मर जाते हैं जिससे फसल अच्छी नहीं हो पाती है।
कारण-:
किसानों द्वारा अधिक मात्रा में रासायनिक दवाओं का छिड़काव करने से।
कल कारखानों से निकलने वाले मलबे को खुले मैदान में फेंक देना।
मरे हुए जानवरों को जहां-तहां फेंक देने से।
खेतों में बम विस्फोट करना, आतिशबाजी करना एवं मिसाइल परीक्षण करना इत्यादि भूमि प्रदूषण के कारण है।
निवारण-:
मृदा प्रदूषण ना हो इसके लिए किसानों को सोच समझकर उचित मात्रा में खेतों में रासायनिक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।
खुले मैदानों में मरे हुए जानवरों को जहां- तहां नहीं फेंकना चाहिए।
कल कारखानों से निकले हुए मलवे को खुले में नहीं फेकना चाहिए।
बार-बार खेतों में मिसाइल परीक्षण या फिर उसमें विस्फोटक परीक्षण नहीं करना चाहिए।
खेतों में किसानों द्वारा चावल या गेहूं के डंठल एवं जड़ वाले हिस्से को खेत में नहीं जलाना चाहिए।
मिट्टी को कटाव से बचाएं क्योंकि भूमि की ऊपरी परत ही उर्वर होती है।
इससे होने वाले रोग निम्नलिखित है।
food poisoning ( भोजन विषाक्तता)
Peptic ulcer ( अमाशइक घाव)
Gastric ( गैस ) etc.
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