सामान्यतः यह बात तो हम सब जानते ही हैं कि 12-14 वर्ष की आयु के बाद धीरे-धीरे लड़कों की आवाज में भारीपन आ जाता है, जबकि लड़कियों में आवाज में इस तरह का कोई खास बदलाव नही होता है।
आज के इस लेख में हम आपको बताना चाहते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आवाज पतली व सुरीली क्यों होती है?
किशोरावस्था तक पहुँचने पर पुरुष व महिला में शारीरिक रूप से कई तरह के आंतरिक व बाह्य परिवर्तन आते हैं, क्योंकि इस दौरान कुछ हॉर्मोन विकसित होते हैं। पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन व महिलाओं में दो तरह के हॉर्मोन एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन बनते हैं।
टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन के कारण कंठ (गले) पर प्रभाव पड़ता है। यह गले के भीतर की कंठ नलियों की लम्बाई व चौड़ाई में बदलाव पैदा करता है, जिससे कंठ का आकार खुलने पर आवाज में भारीपन आ जाता है, जबकि महिलाओं में यह हॉर्मोन न बनने के कारण उनके कंठ में ऐसा कोई बदलाव नहीं आता, जिससे उनकी आवाज में भारीपन पैदा होता हो।
यहाँ यह बात जान लेना भी जरूरी है कि प्रत्येक पुरुष में यह हॉर्मोन समान प्रभाव नही डालता है। अतः यह आवश्यक नही है कि हॉर्मोन के प्रभाव से सभी पुरुषों की आवाज एक ही अनुपात में भारी होती होगी।
तुलनात्मक रूप से महिलाओं के वाक् यन्त्र की आवृति में अधिकता होने के कारण यह आवाज़ में सुरीलापन पैदा करता है, जबकि पुरुषों के वाक् यन्त्र की आवृति अधिक न होने के कारण आवाज में भारीपन आ जाता है।
वैज्ञानिक तौर पर हॉर्मोन को ही आवाज में प्राकृतिक बदलाव का कारण माना गया है। इसके अतिरिक्त आवाज का मोटा या पतला होना पुरुषों व महिलाओं में भिन्न-भिन्न होता है, क्योंकि प्रत्येक पुरुष की आवाज भारी नही होती और प्रत्येक महिला की आवाज सुरीली व पतली नही होती है। परन्तु किशोरावस्था के दौरान सभी की आवाज में परिवर्तन पैदा होता है, जिसका कारण हॉर्मोन को माना जाता है|
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