अत्यधिक मात्रा में हानिकारक पदार्थो के विस्फोट से वायुमंडल में कार्बन- डाइऑक्साइड, नाइट्रिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड, मिथेन के अलावे Uranium 235 uranium 238 और एरोसोल के मात्रा में लगातार बढ़ोतरी होते जा रही है ओजोन परत में छिद्र हो रहे हैं और वायुमंडल में ऑक्सीजन में लगातार कमी और कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि होती जा रही है जिसके फलस्वरूप वायुमंडलिए तापमान में काफी बढ़ोतरी हो रही है इस प्रकार के समस्या से परस्पर गर्मी उत्पन्न हो रही है वह तापीय प्रदूषण कहलाता है। जैसे – उद्योगों के लिए काम में लिया जाने वाला पानी प्राकृतिक जल स्त्रोतों से लिया जाता है और अपने काम के अनुसार उसको ठंडा या गर्म करके वापस कुर्सी जल स्त्रोत या अन्य जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है तो उस जल स्त्रोत का तापमान बिगड़ जाता है और उस पानी का ऑक्सीजन अस्तर भी इधर उधर हो जाता है इस प्रकार ऑक्सीजन अस्तर का गिरने या अचानक से तापमान में वृद्धि होने से जलीय जीवो पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है जो जो परिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं जिसे तापीय प्रदूषण कहा जाता है जो आधुनिक समाज और आने वाले समय में बहुत घातक और चिंताजनक है। सभी प्रकार के प्रदूषण जैसे जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण इत्यादि को बढ़ाने के लिए मानव ही सबसे बड़ा प्रदूषक है।
कारण:-
लगातार हो रहे पेड़ पौधों की कटाई।
ऑक्सीजन की मात्रा में कमी और कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि।
बढ़ रहे ओजोन परत का छिद्र।
बार बार बम विस्फोट करना तथा मिसाइल परीक्षण करना। ऐसे कई कारण है जो तापीय प्रदूषण को लगातार बढ़ा रहे हैं।
निवारण:-
हानिकारक पदार्थ जैसे CFC अरोसोल यूरेनियम 235 यूरेनियम 238 जैसे हानिकारक पदार्थ के उपयोग पर रोक लगाना होगा।
पेड़ पौधों की कटाई पर रोक लगाना होगा और वृक्ष रोपण कार्यक्रम को बढ़ावा देना होगा।
चिमनी तथा राइस मिलों से निकलने वाले धुओ के पार्ट को और ऊंचा करना होगा।
ओजोन परत को छिद्र ग्रस्त होने से बचाना होगा।
तापीय प्रदूषण से निम्नलिखित रोग होते हैं जैसे-
Skin disease ( चर्म रोग )
Leukemia / blood Cancer
Bone T. B
Genetic problem. etc
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