डर जिसे हिंदी में भय भी कहते हैं, यह हमारे दिमाग की एक अवस्था है जिसमे हमारा दिमाग हमे कुछ करने से मना करता है या कुछ अनहोनी की पहले से ही परिकल्पना कर लेता है. हमारे ऊपर बीते हुए पुराने चीज़े जो अच्छी नही बीती उसे लेकर भी हमारा दिमाग हमारे अन्दर डर पैदा करता हैं .
हम सभी डर को अलग अलग तरीके से अनुभव करते हैं कोई व्यक्ति किसी चीज़ से बिलकुल नहीं डरता जिससे हम डरते हैं .
डर या भय या हमारे मन का एक विकार है लेकिन, कभी कही भय का होना सही भी है. हमेशा डर विकार ही नहीं होता बल्कि यह हमें खतरों से भी बचाता है. डर हमारे दिमाग के द्वारा हमें खतरों से सचेत रहने के लिए बनाया जाता है .
डर हमें अन्दर से खोखला कर देता और याद रखिये डर के आगे जीत नहीं है, जहाँ डर है वहां जीत है ही नहीं.
न डर के आगे जीत है और न डर के पीछे जीत है. जीत वहां है जहाँ डर न नामोनिशान ही नहीं है.
हमें एक बात याद रखनी चाहिए की डर हमारे दिमाग , मन द्वारा बनाया गया एक response हैं, कभी कभी डर अच्छा भी होता है, दिमाग हमेशा उस अवस्था में डर को पैदा करता है जिस अवस्था में वह सेफ , सुरक्षित महसूस नहीं करता.
डर को ख़तम करने का दो उपाय है
१. डर को अनदेखा कीजिये – जी हाँ, अगर आपको डर लगता है किसी काम करने से तो फिर भी वह काम कीजिये (डर को अनदेखा करते हुए ) इससे डर अपने आप ही ख़त्म होने लगेगा.
२. जिस चीज़ से आपको डर लगता है उसके बारे में और जानने और पढ़ने की कोशिश कीजिये, लोगों से बाते कीजिये और पूछिए उसके बारे में इससे आपका डर अपने आप ही चला जायेगा