जल को अमृत के समान दर्जा दिया गया है जिसके बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं होता| आधुनिक युग में जल प्रदूषण एवं उसके कारणों के बारे में काफी चर्चा की जाती है, और हो भी क्यों न, पीने योग्य जल की घटती मात्रा काफी चिंता का विषय बन चुका है|
रोजाना बढती टेक्नोलॉजी एवं कीटनाशको एवं रासायनिक केमिकैल्स के कारण नदियों, झीलों एवं समुंद्र का जल दूषित हो गया है अत: आज हम यहाँ जल को शुद्ध करने के कुछ असरदार तरीकों का विस्तार से विवरण देंगे जिससे आप अपनी पेयजल की कमी को पूरा कर सकते है|
जल शुद्धिकरण की असरदार प्रक्रियाएं:
वाटर प्यूरीफायर जल शुद्धिकरण का आधुनिक तरीका है एवं आज लगभग सभी घरो में इसका होना अनिवार्य है, किन्तु फिर भी हरेक कोई इसे नहीं खरीद सकता इसलिए शुद्धिकरण की ये तकनीक की जानकारी होना अनिवार्य है:-
फिल्ट्रेशन:
जल को शुद्ध करने का यह साधारण उपाय है| इस प्रक्रिया में कपड़े एवं कार्टरिज के द्वारा जल से मिटटी, रेत, आदि के कणों को पानी से अलग किया जाता है| बाजार में अलग-२ आकार के फ़िल्टर मौजूद है जिसे घरेलू स्तर एवं बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है|
ये फ़िल्टर विभिन्न आकारों में उपलब्ध होते है जैसे डिस्क शेप, स्पयिरल, आदि| किन्तु इन फिल्टर्स से जल में मौजूद भारी धातुओं को अलग नहीं किया जा सकता| फिल्टर्स में माइक्रोफिल्टर्स एवं अल्ट्रा फिल्टर्स ज्यादा प्रचलित होते है एवं ये जल को पीने योग्य बनाने में सहायक होते है|
रिवर्स आस्मोसिस:
यह प्रक्रिया फिल्टर्स की तुलना में महंगी है, इसमें नैनो फ़िल्टर सिस्टम का प्रयोग किया जाता है| इसमें पानी को तेज प्रेशर के साथ एक बारीक़ झिल्ली में से गुजारा जाता है जिससे उसकी सब अशुद्धीया, कीटाणु, मिटटी, माइक्रोबस, आदि का सफाया हो जाता है|
इस प्रणाली को R.O सिस्टम भी कहा जाता है एवं यह आधुनिक समय में काफी लोकप्रिय है, खर्चीली होने के साथ इसमें पानी काफी बहता है जो की जल का दुरूपयोग कहा जा सकता है|
जल का विसंक्रमन:
पानी को संक्रमन से बचाने के लिए क्लोरिन, ओजोन आदि का प्रयोग किया जाता है क्योकि जल में हानिकारक बैक्टीरिया होते है जो सेहत को नुकसान पंहुचा सकते है| किन्तु क्लोरिन या इसके जैसे अन्य केमिकल के इस्तेमाल से पानी हैलोएसिडिक जैसे तत्व पैदा हो जाते है एवं वह भी सेहत के लिए हानिकारक होते है|
जल को विसंक्रमित करने के लिए अल्ट्रा वोइलेट किरण कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए सबसे लोकप्रिय तरीका है जिससे बैक्टीरिया निष्क्रिय हो जाता है एव पानी पीने योग्य बनाया जाता है|
नैनोतकनीक:
कार्बन नैनो प्रणाली के द्वारा जल के अच्छे अणुओं को बचाकर उसे जीवाणु, बैक्टीरिया आदि से रहित करना इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य है जिसपर सभी वैज्ञानिक एकमत है एवं अनुसन्धान की प्रक्रिया जारी है|
इसमें खोजकर्ताओ ने मनुष्य के बाल से कही ज्यादा बारीक़ नैनो फाइबर एवं ट्यूब्स का निर्माण किया है जो जल में मौजूद सूक्ष्म से सूक्ष्म बैक्टीरिया एवं गंदगी का सफाया करने में सक्षम होंगे|
वैज्ञानिको का मानना है, कि यह तकनीक सबसे अधिक कारगर साबित हो सकती है क्योकि इसमें जल को शुद्ध करने के लिए ऊर्जा की खपत कम होगी एवं जल का दुरूपयोग को भी रोका जा सकेगा|
जल शोधक:
प्राय: पीने योग्य जल की आपूर्ति का कार्य प्रत्येक शहर या राज्य में नगरपालिका द्वारा सम्भाला जाता है| किन्तु कई बार संसाधनो की कमी के कारण या पर्याप्त जानकारी के आभाव में इस कार्य में कोई न कोई कमी रह जाती है|
शुद्ध जल जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है इसलिए जल शोधन यंत्रो का इतना प्रचलन बढ़ता जा रहा है जल शोधक अलग-२ प्रकार के आते है अत: यदि आपके घर में जल शोधक पहले से विद्यमान है या आप लगाने का सोच रहे है तो आपको पता होना चाहिए कि आपके घर आने वाले पानी में कौनसी अशुद्धियाँ है जिससे जल शोधक का चुनाव करने में आसानी हो|
इसके लिए आप जल का परिक्षण करवाकर जान सकते है जैसे यदि पानी में सिर्फ मिटटी, रेत आदि की मात्रा अधिक है तो समान्य फ़िल्टर भी इसे दूर कर सकता है किन्तु यदि जल में बैक्टीरिया, जीवाणु आदि है तो आप U.V. फ़िल्टर लगवा सकते है|
यदि जल में फ्लोराइड, कैडमियम, निकिल या अन्य धातु या कोई हानिकारक रसायन दिखाई देता है तो R.O. फ़िल्टर लगवाना जरूरी हो जाता है|
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