ज्यादातर लोग समय देखने के लिए मोबाइल का उपयोग करना पसंद नहीं करते, उनकी कलाई की घडी यह काम आसानी से कर देती है। यह लोगों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है, जिससे उनका व्यक्तित्व झलकता है। इस सुचारु समयसूचक ने अपने जीवनकाल में कई बदलाव देखे है।आज जो हम घडी देखते है वह वास्तव मे एक नवीनतम अंदाज और अनोखी क्षमता वाली चीज़ है जो की सम्पूर्णतः अलग है, जब वो सबसे पहले बनी थी।
घड़ियों का अविष्कार प्रारंभिक रूप से सोलहवीं शताब्दी में यूरोप में शुरू हुआ, जहां घड़ियों को पंद्रहवीं शताब्दी के कॉम्पैक्ट स्प्रिंग-ड्रिवन टाइमकीपर का उन्नत(Advanced) संस्करण बनाया गया था ।सोलहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के मध्य में बनाई गई घड़ी एक यांत्रिक गैजेट थी, जिसे एक वाइंडिंग स्प्रिंग उपकरण के द्वारा नियंत्रित किया जाता था, उसके बाद हाथ से घुमाया जाता था और पिवोटिंग बैलेंस व्हील के साथ समय मिलाया जाता था।
“Watch “शब्द पुराने अंग्रेजी शब्द “woecce” से बना है जिसका अर्थ है “द्वारपाल (gatekeeper)” क्योंकि इसका उपयोग नगर अभिभावकों द्वारा उनकी शिफ्टों की निगरानी के लिए किया जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि यह शब्द सत्रहवीं शताब्दी के समुद्री नाविकों के द्वारा पहले प्रयोग में लाया गया,जिन्होने अपनी रात की शिफ्ट के समय को मापने के लिए नए उपकरणों का उपयोग किया।
घडी के आविष्कार की ओर देखे तो इसको ‘डिमिनीश हेनलेन’ ने बनाया था जिन्होने १५०४ में मुख्य कॉम्पैक्ट टाइमपीस बनाया था। हालांकि इसे पहनना और कही पर भी ले जाना आसान था, लेकिन यह समय बताने में थोड़ी सी सटीक नहीं थी क्योंकि पहनने वाले के घूमने और चलने की गति से सही समय को प्रदर्शित करने के लिए टाइमपीस की सटीकता प्रभावित होती थी।
डिमिनीश हेनलेनके बाद, पटेक फिलिप (Patek Philippe) को आखरी उन्नीसवीं शताब्दी के कलाई घडी की खोज का श्रेय दिया जाता है। उन्होने एक टाइमपीस घडी की योजना बनाई जिसे महिलाओं की कलाइयों में सजावट के रूप में देखा गया। चूंकि कलाई घड़ियां सिर्फ फैशन स्टेटमेंट से अधिक हो गई थी, इसलिए उसी के आधार पर ‘लुई कार्टियर’ ने बीसवीं शताब्दी के मध्य में पुरुषों के लिए एक घड़ी विकसित की थी। उसने विमान के पायलटों की मदद करने के लिए इस घड़ी की रचना की जिससे विमान उड़ान जैसे संवेदनशील कार्य से जुड़े हुए समय की जांच करने के लिए जो खर्चा आता है उसमे बचत हो । उसीप्रकार ,WWI से जुड़े हुए अधिकारियोंने विमान उड़ान के वक्त सटीक समय जाँच करने की उचित प्रणाली बनाने की मांग की।उस वक्त घडी को कमर में लगाया जाता था। परन्तु अपनी कमर की जेब में समय देखना एक कुशल विकल्प नहीं था, इसलिए सेना ने कलाई-घडी के लिए अभियान चलाया। सैनिकों को सशस्त्र बलों से छुट्टी मिलने के बाद अपनी कलाई घड़ियों को रखने की अनुमति मिली और इस प्रकार , कलाई घड़ी मुख्यधारा की संस्कृति के में बदल गई।
१ ९ २७ में, वॉरेन मॉरिसन ने पाया कि इलेक्ट्रिक सर्किट के साथ क्वार्ट्ज की बहुमूल्य स्टोन में सम्मिलित करने से एक बेहद सटीक घड़ी कल्पना की जा सकती थी, जिससे उस युग की पहली क्वार्ट्ज घड़ी बन गई थी।
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