कोलेस्ट्रोल यह एक यूनानी शब्द है जो कोले और स्टीरियो (ठोस) से बना है और ओल प्रत्यय लगाकर कोलेस्ट्रॉल बना है। 1815 ईसवी में यूजीन चूर वेल नामक रसायन शास्त्री ने यह नाम रखा था। इसका आणविक सूत्र C27H460 है। देखने में यह श्वेत क्रिस्टलाइन चूर्ण जैसा होता है। इसकी आवश्यकता कोशिकाओं के निर्माण में, हार्मोन के निर्माण में, और बाइल जूस के निर्माण के लिए होता है। यह एक मोम जैसा पदार्थ होता है जो शरीर के लगभग हर भाग में पाया जाता है खासकर कोशिका झिल्ली का यह एक महत्वपूर्ण भाग है। यह विटामिन डी, हार्मोन, एवं पित्त का निर्माण करता है। कॉर्टिसोल और एल्डोस्टेरांन जो एड्रिनल ग्रंथि का श्राव है उस श्राव के लिए कोलेस्ट्रोल जरूरी है। यह मांसाहारी भोज्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस, मछली या डेयरी उत्पाद के द्वारा शरीर में पहुंचता है । यह फल सब्जी और अनाज में नहीं पाया जाता है। यह 80% भोजन के द्वारा और 20% प्रतिशत शरीर में खुद बन जाता है। शरीर में भी इसका उत्पादन यकृत (Liver )के द्वारा होता है यह रक्त में घुलनशील नहीं होता है। यह शरीर के लिए अच्छा(good), बुरा(bad), और बहुत बुरा(very bad) तीन प्रकार का होता है
(A)अच्छा कोलेस्ट्रोल(HDL= high density lipoprotein cholesterol)
(B)बुरा कोलेस्ट्रॉल (LDL= Low density lipoprotein cholesterol)
(C)बहुत हानिकारक कोलेस्ट्रोल (VLDL = very low density lipoprotein cholesterol) बहुत कम घनत्व वाले प्रोटीन।
अब आप जानना चाहेंगे कि लिपॉप्रोटीन ( lipoprotein) क्या है ==
यह प्रोटीन और लिपिड (फैट ) का कंबीनेशन है । यह कोलेस्ट्रोल के वाहक होते हैं। यह अपने में कोलेस्ट्रोल लेकर कोशिका के अंदर और बाहर परिवहन करते हैं।
अतः कॉलेस्ट्रोल इसी लिपॉप्रोटीन के चलते अच्छा या बुरा होता है या बहुत बुरा, जो उच्च घनत्व के लिए लिपॉप्रोटीन है वह रक्त के साथ चला करते हैं लेकिन निम्न घनत्व वाले या सबसे कम घनत्व वाले लिपॉप्रोटीन जगह जगह बैठ जाते हैं जिससे ब्लॉकेज हो जाता है और खून की नली संकरी हो जाती है
1) HDL Cholesterol (high density lipoprotein cholesterol) इस प्रकार के कोलेस्ट्रोल को अच्छा कोलेस्ट्रोल कहा जाता है क्योंकि यह अन्य दूसरे प्रकार के कोलेस्ट्रोल को रक्त से हटा देता है जो सेहत के लिए खराब होते हैं इस प्रकार के कोलेस्ट्रोल से हृदय रोग का खतरा कम होता है इसका उत्पादन लीवर में होता है
ऐसा कोलेस्ट्रोल रक्त वाहिनीयों से LDL ( लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन) वाले कोलेस्ट्रोल को तोड़ता है और वे पुनः लिवर में जाकर शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं इस प्रकार के कोलेस्ट्रोल सोयाबीन उत्पाद और हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है हम सभी व्यायाम और शाकाहार को खानपान में शामिल करें तो एच डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा सकते हैं और अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैंI यह बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थों को सोखने के लिए स्पंज का कार्य करता हैI यह सूरज की किरणों को विटामिन डी में बदलने का कार्य करता है।
2) LDL Cholesterol ( Low density lipoprotein cholesterol) इस प्रकार के कोलेस्ट्रोल को खराब कोलेस्ट्रोल कहते हैं या बुरा कोलेस्ट्रॉल I चुकी इसके Lipoprotein का घनत्व कम होता है, अतः यह रक्त नली की दीवारों में जमना शुरू हो जाता है और नली को बंद कर देता है जिसे ब्लॉकेज कहते हैं इस कारण रक्त परिवहन में रुकावट होती है और वहां दर्द होने लगता है। रक्त की नली बंद होने से हार्ट स्ट्रोक हृदयाघात हो जाता है और हमें बहुत परेशानी होती है।
3) VLDL (very low density lipoprotein cholesterol) यह अन्य सभी कोलेस्ट्रोल से ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसका लिपॉप्रोटीन बहुत ही लो डेंसिटी का होता है और यह एलडीएल से ज्यादा जल्दी से जमता है अंडे और रेड मीट खाने से इसका स्तर बढ़ जाता है,इसके Lipoprotein को ट्राइग्लिसराइड्स कहते हैं।
👉 ट्राइग्लिसराइड्स ( triglycerides) यह एक प्रकार का फैटी एसिड है जो एनिमल फैट और मांस में अधिक पाया जाता है यह वनस्पति तेल के भी संगठक होते हैं, लेकिन जो तेल जमता नहीं है उसमें इसकी मात्रा कम होती है यह तीन वसा अम्लों के स्टेयरिक होते हैं। इससे कमर पर फैट जमने लगता है और दिल की बीमारी का खतरा पैदा हो जाता है साथ ही साथ एच डी एल की मात्रा कम होने लगती है। इसके साथ चीनी रोग और थायराइड होने की संभावना हो जाती है क्योंकि मेटाबोलिक कार्य कम होने लगता है। अतः खान-पान में परहेज और व्यायाम करना जरूरी होता है। दालचीनी और लौंग का पानी पीने से इसकी मात्रा कम हो जाती है।
क्या खायेंऔर क्या न खायें
क्या खायें ( ए ग्रेड फुड)
ऑलिव ऑयल, ओट्स, अलसी के तेल, तिल का तेल सरसों का तेल, सूर्यमुखी का तेल, ग्रीन टी, धनिया के बीज, प्याज, आंवला, संतरे का जूस, स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, अखरोट, बदाम, राजमा, चना, मूंग, सोयाबीन, उड़द, हरी पत्तेदार सब्जियां, लहसुन, चोकर वाली रोटी, बिना क्रीम का दूध, दही, छाछ, तरबूज, ककड़ी, खीरा, सेव, अमरूद, केला, पालक, नींबू, चिया सीड्स, मल्टीग्रेन आटा की रोटी,
👉 क्या ना खाएं (बी ग्रेड फूड )
फुल क्रीम दूध ,मक्खन, घी, जमने वाला तेल, किशमिश, खजूर ,मीठा सूखे फल, रिफाइंड अनाज जैसे मैदे से बनी चीज, ह्वाइट ब्रेड, पास्ता, हर तरह का फास्ट फूड, नुकसानदायक है। इसके अलावे चिकन, अंडा, बटर, रेड मीट, आईसक्रीम, केक, पेस्ट्री, शक्कर, सॉफ्ट ड्रिंक, नारियल, पाम आयल, रिफाइंड तेल,स्वास्थ के लिए हानिकारक है।
इस प्रकार ए ग्रेट फूड खाने से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है एचडीएल बढ़ता है और एलडीएल कोलेस्ट्रोल की कमी होती है जिससे हम हृदयाघात, मोटापा, एंथेरोक्लेरोसिस(धमनियां ब्लॉक होकर खून के बहाव में रुकावट) उच्च रक्तचाप, एनजाइना (सीने में दर्द — हार्ट के कोरोनरी आर्टरी में रक्त की रुकावट होना) हार्टअटैक (दिल का दौरा) मस्तिष्का मृत हो जाना,स्मरण शक्ति की कमी, लीवर का रोग जैसे पीलिया, पथरी से बचे रह सकते हैं। अगर हमारे खान-पान में बी ग्रेड फूड का अंश ज्यादा होगा तो वह दिन दूर नहीं जब हम उक्त रोग के शिकार होंगे और डॉक्टरों का चक्कर लगाना पड़ेगा। बाईपास सर्जरी (एनजीओ प्लास्टी) कराना पड़ सकता है।
अतः हमें 35 या 40 के उम्र के बाद नियमित कोलेस्ट्रॉल की जांच और खानपान में सुधार करना जरूरी है क्योंकि स्वास्थ्य शरीर ही धन है। केवल जीभ के स्वाद के चलते जीवन को नर्क बनाना उचित नहीं है।
शरीर एक साधन है, जैसे गाड़ी से हम अपने गंतव्य तक जाते हैं तो गाड़ी का अच्छा से रख रखाव करते हैं, उसमें अच्छा पेट्रोल, डीजल भरवाते हैं, उसी तरह शरीर को भी उचित आहार-विहार चाहिए ताकि जिसने इस शरीर को बनाया है उसका दर्शन कर सकें, आत्मसात कर सकें।
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