जैसा की हम सभी जानते है कि ऊँट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है। इसका इस्तेमाल बोझ को धोने के लिए और भी बहुत से कामो के लिए किया जाता है. यह रेगिस्तान में करीब सात दिन तक बिना पानी पिए रह सकता है। एक ऊँट का जीवनकाल चालीस से पच्चास वर्ष तक का होता है।
ऊँट की रफ़्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। ऊँट की ऊंचाई 1.85 मी और कूबड़ तक 2.15 मी होती है। ऊँट के शरीर के ऊपर एक कूबड़ होता है. जो की एक बहुत ही दिलचस्प बात है। ऐसा सुनने में आता है की ऊँट के कूबड़ में पानी होता है।
ये बात कहा तक सही है। कई लोगो को ये ग़लतफहमी होती है की ऊँट अपने कूबड़ में पानी भरके रखता है. लेकिन ऐसा नहीं है। ऊँट अपने कूबड़ में पानी नहीं बल्कि वसा संग्रह करके रखता है। ये अपने कूबड़ में लगभग 36.6 किलों तक वसा एकत्रित करके रखता है।
जब भी ऊँट को भोजन की जरूरत होती है तो वह अपनी शारीरिक प्रक्रिया से भोजन इसी से मिलता है। ऊँट पानी की कमी को भी पूरा करने के लिए कूबड़ की वसा का इस्तेमाल करता है।
ऊँट अपनी अमाशय की थैली में भी पानी को इक्कठा करके रखता है। इसका भी इस्तेमाल यह पानी की कमी को पूरा करने लिए करता है। मै आपको बता दू की ऊँट में कूबड़ पैदा होने के समय से नहीं होता बल्कि जैसे जैसे उसका विकास होता है। वैसे वैसे उसका कूबड़ बढ़ता रहता है।
ऊँट के मुँह में लगभग 34 दांत होते है। लगभग बहुत समय पहले लोगो ने ऊँटो को पालतू बनाया था और इसका इस्तेमाल वह बोझा और सामान धोने के लिए करते है। ऊँट एक बार में 100 से 150 लीटर तक पानी पी जाते है। ऊँट को कभी भी पसीना नहीं आता क्युकी इसकी चमड़ी मोटी होती है।
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