इस्पात या स्टील हमारे आसपास न जाने किन-किन रूपों में मौजूद रहता है चाहे वह हमारा घर हो, रसोई हो, ऑफिस हो या कुछ और| स्टील के प्रयोग बिना किसी भी निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती|
खाना बनाने के बर्तन से लेकर सड़को पर दौड़ने वाले वाहन, बड़े-बड़े पुल या समुंद्र में चलने वाले जहाज या हवा में उड़ने वाले प्लेन आदि सभी में स्टील का इस्तेमाल किया जाता है| क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी महत्वपूर्ण धातु का निर्माण कैसे किया जाता होगा आइये जानते है इस बारे में|
क्या है स्टील एवं कैसे बनता है?
स्टील दो धातुओ कार्बन एवं लोहा के मिश्रण से निर्मित हुआ धातु है जिसे लोहे के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर बनाया जाता है जिससे इसे पर्याप्त कठोरता मिल सके क्योकि शुद्ध लोहा नर्म होता है एवं उससे मजबूत निर्माण नहीं किया जा सकता|
1149 डिग्री के उच्च तापमान पर लोहे में केवल 2.14% कार्बन को मिक्स किया जाता है एवं इससे ज्यादा कार्बन मिलाने पर लोहा और अधिक मजबूत एवं अच्छी क्वालिटी का निर्मित होता है जिसे कास्ट आयरन कहा जाता है जिसमे जल्दी से जंग नहीं लगती|
कार्बन के साथ इसमें मजबूती एवं सुधार के लिए अन्य सहायक तत्व जैसे टंगस्टंन, मैगनीज, वेनेडियम, क्रोमियम आदि मिक्स किये जाते है|
क्या है स्टेनलेस स्टील?
स्टील का परिष्कृत रूप जो साधारण स्टील के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ एवं बेहतर होता है उसे स्टेनलेस स्टील का नाम दिया गया| स्टेनलेस स्टील में अधिक क्रोमेयिम, निकेल, ताम्बा, आदि मिलाया जाता है जिससे इसे लॉन्ग लाइफ मिलती है एवं जंग या धब्बे लगने से यह खराब भी नहीं होता|
यह स्टील आम स्टील की तुलना अधिक ताप सहन कर सकता है| दरअसल इस स्टील का निर्माण 1871 ई. में किसी प्रयोग की भूलवश हुआ| खोजकर्ता बंदूक के बैरल को बनाना चाहते थे जो पानी आदि लगने से खराब न हो न ही जंग लगे और निर्मित हुआ स्टेनलेस स्टील का नमूना जिसका आज न जाने कहाँ-कहाँ प्रयोग किया जाता है|
स्टील एक ऐसी धातु है जिसे पुन: रीसायकल किया जा सकता है एवं इससे पर्यावरण को भी कोई खास हानि नहीं होती| स्टील के आधुनिक रूप स्टेनलेस स्टील ने उद्योगिक जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन किये एवं आज भी आप वर्षो पहले निर्मित हुए निर्माणों को जैसे का तैसा देख सकते है|
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