किसी भी राशि की मात्रा का मान ज्ञात करने के लिए अर्थात उस राशि को मापने के लिए कुछ मानक मान लिया जाता है जिन्हे हम मात्रक कहते है | दुसरे शब्दों में कोई भौतिक राशि जिसके द्वारा मापी जाती है उसे मात्रक कहतें है |
किसी भी वस्तु की मात्रा को पता करने के लिए हमे कुछ चीजों का ज्ञान होना अनिवार्य होता है –
१. किसी भी राशि का मात्रक :- अर्थात ऐसा यन्त्र या मात्रक जिससे हम उस राशि को मापते है | क्यूंकि अलग – अलग राशियों के लिए अलग अलग मात्रक इस्तेमाल किये जातें है |
२. उसका संख्यात्मक मान : – उस राशि का परिमाण मतलब , इससे यह पता चल जाता है की उस राशि में, चुने गए मात्रक की मात्रा का कितनी बार इस्तेमाल किया गया है | इसे उदाहरण से समझतें है – माना की किसी क्षण की लम्बाई १० मीटर है|
यहाँ पर हमने लम्बाई मापने के लिए जिस मात्रक का इस्तेमाल किया वह है “मीटर ” और दिया गया परिमाण (10) यह बताता है की इसके लिए जो मात्रक “मीटर ” हमने चुना है वह इसका १० गुना है |
मात्रक को आसानी से समझने के लिए दो प्रकारों में विभाजित किया गया है –
१. मूल मात्रक
२. व्युत्पन्न मात्रक
मूल मात्रक
ऐसे भौतिक राशि जो की अन्य मात्रकों पर निर्भर नहीं करते अर्थात आधारित नहीं होते है बल्कि स्वयं में स्वतंत्र होते है, मूल मात्रक कहलाते है|
उदाहरण के लिए लम्बाई का मीटर तो समय का सेकंड और द्र्वयमान का किलोग्राम इत्यादि मूल मात्रक के उदाहरण है |
वैसे मात्रकों की गणना के लिए कई प्रकार की पद्दतियाँ इस्तेमाल की जातीं है, जिनमे से SI पद्दति सर्वमान्य है – ये सात होतें है तथा दो पूरक मूल मात्रक होतें है |
इसमें लम्बाई या दूरी का मूल मात्रक मीटर होता है जिसे m से प्रदर्शित करतें है |
इसमें द्रव्यमान का मूल मात्रक किग्रा. होता है जिसे kg से प्रदर्शित करतें है |
इसमें समय का मूल मात्रक सेकेण्ड होता है जिसे s से प्रदर्शित करतें है |
इसमें ताप का मूल मात्रक कैल्विन होता है जिसे k से प्रदर्शित करतें है |
इसमें विद्युत धारा का मूल मात्रक ऐम्पियर होता है जिसे a से प्रदर्शित करतें है |
इसमें ज्योति तीव्रता का मूल मात्रक कैण्डला होता है जिसे Cd से प्रदर्शित करतें है |
इसमें पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक मोल होता है जिसे mol से प्रदर्शित करतें है |
पूरक मूल मात्रक:-
इसमें तलीय कोण का मूल मात्रक रेडियन होता है जिसे Rd से प्रदर्शित करतें है |
इसमें घन कोण का मूल मात्रक स्टेरेडियन होता है जिसे Srd से प्रदर्शित करतें है |
व्युत्पन्न मात्रक
जब हम एक या उससे अधिक मूल मात्रकों का उपयोग करके अर्थात मूल मात्रकों की कई घाटों का उपयोग करके नए मात्रक बनातें हैं उसे व्युत्पन्न मात्रक कहतें है |
उदाहरण के लिए –
मान लीजिये आपको किसी वस्तु के क्षेत्रफल का मात्रक ज्ञात करना है, परन्तु हमें नहीं पता की क्षेत्रफल का मात्रक क्या होता है ? लेकिन हम जानते है की क्षेत्रफल , लम्बाई और चौड़ाई के गुणनफल के बराबर होता है |
क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
मात्रक = मीटर × मीटर = मीटर ^२
इस उदाहरण से पता चलता है की क्षेत्रफल का मात्रक व्युत्पन्न मात्रक है, क्यूंकि इसका निर्माण मूल मात्रक की सहायता से हुआ है | यहां पर हमने लम्बाई और चौड़ाई के मूल मात्रक मीटर की सहायता से क्षेत्रफल का मात्रक मीटर ^२ प्राप्त किया है | इसी प्रकार से आयतन का मात्रक मीटर^३, लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई के मात्रक मीटर के ३ बार गुणा करने से प्राप्त होता है, घनत्व का मात्रक किग्रा/मीटर^३ इत्यादि व्युत्पन्न मात्रक के उदाहरण है |
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