श्वसन तन्त्र मनुष्य के जीवित रहने के लिए अत्यंत महवपूर्ण प्रणाली है| श्वसन प्रणाली का सबसे जरूरी और प्राथमिक अंग फेफड़े होते है, जहाँ पर सभी प्रकार की गैसों का आदान-प्रदान किया जाता है, इसी कारणवश इसे फुफ्फुसीय श्वसन तन्त्र ...
पादप हार्मोन एक प्रकार के रसायन होते है जो पौधे के विकास एवं वृद्धि को प्रभावित करते है, एवं जिनके अभाव से पौधे के समान्य रूप से वृद्धि नहीं हो पाती| पादप हॉर्मोन पौधे के अंदर ही उत्पन्न होकर उसके विभिन्न ...
पाचन तन्त्र एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत भोजन को पचाने के लिए कुछ एंजाइम एवं रासायनिक तत्वों की सहायता से बड़े अणुओ जैसे वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स आदि को घुलनशील एवं छोटे अणुओ जैसे ग्लोकोज, अमीनो एसिड आदि में रूपांतरित ...
जीवो के शरीर में सूक्ष्म धागे के जैसे छोटी-छोटी तंत्रिकाए जाल के समान फैली रहती है, जिनका प्रमुख कार्य शरीर के विभिन्न अंगो पर नियन्त्रण रखते हुए उनको वातावरण में हुए परिवर्तन या बदलाव के बारे में सूचित करना एवं ...
जन्तु उत्तक अथवा जन्तुओ के शरीर में उपस्थित उत्तको के प्रमुख नाम एवं वर्णन इस प्रकार है:- उपकला उत्तक जन्तुओ में पाया जाने वाला यह उत्तक जन्तुओ को अंदरूनी आघात से बचाता है एवं उन्हें नमी प्रदान करने में सहायक ...
कंकाल तन्त्र मनुष्य का शरीर विभिन्न प्रकार की अस्थियो या हड्डियों से मिलकर निर्मित होता है, जिसे कंकाल कहा जाता है और इस कंकाल का, कार्य करने एवं शरीर को आकृति प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है, इसी प्रक्रिया ...
जीवों के शरीर में विभिन्न प्रकार के विषैले पदार्थ इकठा हो जाते है, इन्ही उपापचयी खंडो से विषैले पदार्थो के निकलने को उत्सर्जन कहा जाता है एवं इस पूरी प्रक्रिया को उत्सर्जन तन्त्र कहते है| मनुष्य में मुख्य उत्सर्जन अंग ...
स्त्रावी ग्रन्थिया मुख्य रूप से २ प्रकार के होती है, बहि:स्त्रावी ग्रन्थिया एवं अंत:स्त्रावी ग्रन्थिया| बहि:स्त्रावी ग्रन्थियो के अंतर्गत अश्रु ग्रन्थि, दुग्ध ग्रन्थि, स्वेद ग्रन्थि आदि आते है, जिनसे एन्ज्याम्स स्त्राव होता है, जबकि अंत:स्त्रावी ग्रन्थियों के अंतर्गत पीयूष ग्रन्थि,अवटु ...
त्रिविमीय गति को समझने के लिए हमे गति का ज्ञान होना आवश्यक होता है| अतः जब कोई पिंड या वस्तु (body) समय के साथ अपनी स्थिति बदलती है तो हम यह कह सकतें है कि वह पिंड गतिमान है, या ...
जब कोई वस्तु या पिंड एक सरल रेखा में समय के साथ अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है या गतिमान होती है, तो इस गति को हम एक विमीय गति कहतें है | इस गति में मुख्य रूप से वस्तु ...